Class 8 Hindi Grammar Chapter 28 कहानी लेखन (Kahani Lekhan) modified for academic session 2024-25. Writing stories is an art and it is interesting to write a story by own. Some sample stories are given below, so that students can take an idea about how to write a story. Practicing more and more, we will be able to write a perfect story using suitable use of Hindi Vyakaran terms.
Class 8 Hindi Grammar Chapter 28 कहानी लेखन
कक्षा 8 हिन्दी व्याकरण पाठ 28 कहानी लेखन
कक्षा: 8 | हिन्दी व्याकरण |
अध्याय: 28 | कहानी लेखन |
कहानी लेखन
किसी बीती हुई घटना या कथा को क्रमबद्ध करके लिखना कहानी-लेखन कहलाता है, आपने अपने दादा-दादी या नाना-नानी से कहानियाँ सुनी होंगी। कहानी की भाषा सरल होनी चाहिए, इसमें कल्पना का पुट होना चाहिए जो यथार्थ जीवन के निकट हो, कहानी का प्रारंभ रोचक होना चाहिए, कहानी केवल भूतकाल में लिखी जाती है।
कहानी की भाषा
कहानी की भाषा साधारण बोलचाल की भाषा होनी चाहिए, जहाँ-तहाँ मुहावरे और लोकोक्तियों का प्रयोग भाषा में चमत्कार उत्पन्न कर देता है। कहानी का निष्कर्ष स्पष्ट रूप से उभरकर आना चाहिए, कहानी में शिक्षा के साथ-साथ मनोरंजन भी होना चाहिए।
कहानी- बुद्धिमान पक्षी
एक वन में एक बहुत ऊँचा पेड़ था। उसकी बड़ी-बड़ी डालियाँ और शाखाएँ थीं। उस पेड़ के ऊपर हंसों का एक झुंड रहता था। पेड़ के ऊपर हंस अपने-आपको सब प्रकार से सुरक्षित समझते थे। उन हंसों में एक बूढा हंस बड़ा समझदार और अनुभवी था। एक दिन उस बुद्धिमान हंस ने उस पेड़ की जड़ में से एक छोटी-सी लता निकली हुई देखी। उसने सभी हंसों को वह लता दिखाई। हंस उस लता को देखकर हैरान नहीं हुए और बोले-“तो इससे क्या हुआ? लता निकल रही है तो निकलने दो।” बुद्धिमान हंस ने कहा-“नहीं इसे नहीं बढ़ने देना चाहिए।” इसे नष्ट कर देना चाहिए।
हंसों ने बड़ी हैरानी के साथ पूछा-“पर इसे नष्ट क्यों कर देना चाहिए?” बुद्धिमान हंस ने उत्तर दिया-“तुम देख रहे हो, अभी यह बहुत छोटी है, लेकिन एक दिन यह बड़ी होगी तथा मोटी होकर पेड़ से लिपट जाएगी, फिर कोई शिकारी उस मोटी लता के द्वारा पेड़ पर चढ़ जाएगा तथा हमें बड़ी आसानी से हानि पहुँचा सकता है। हंसों ने लापरवाही से कहा-“अभी तो यह लता बहुत छोटी सी है जब बड़ी होगी तब देखा जाएगा। अभी इसे क्यों नष्ट किया जाए?” बुद्धिमान हंस ने कहा-“अभी यह लता छोटी और कमजोर है इसलिए इसे नष्ट करना आसान होगा। जब यह लता बड़ी होकर मोटी और मजबूत हो जाएगी तो तुम इसे नष्ट नहीं कर पाओगे।
शत्रु को मजबूत होने से पहले नष्ट कर देना चाहिए।” हंसों ने लापरवाही के साथ कहा-“अच्छा जो होगा देखा जाएगा, अभी से सोचकर क्या डरना।” लता धीरे-धीरे बड़ी हो गई तथा पेड़ से लिपट गई, कुछ दिनों में वह इतनी मजबूत और बड़ी हो गई कि सीढ़ी के समान पेड़ से लिपट गई। एक दिन सुबह के समय हंसों का दल अपने-अपने घोंसलों को छोडकर भोजन की तलाश में कहीं दूर जा निकला। एक शिकारी पेड़ के नीचे आया। उसने पेड़ के ऊपर हंसों का घोंसला देखा। उसकी खुशी का ठिकाना न रहा, उसने सोचा, ‘आज मैं इन हंसों को अपने जाल में फँसाकर रहूँगा।’ शिकारी पेड़ से लिपटी लता के सहारे पेड़ के ऊपर चढ़ गया। उसने बड़ी चतुराई से पेड़ के ऊपर जाल बिछा दिया और नीचे उतर आया।
वह हंसों की वापिस घोंसलों में आने की प्रतीक्षा करने लगा। शाम को हंस वापिस लौटे तथा अपने-अपने घोंसलों में घुसते ही वे जाल में फंस गए। हंसों ने जाल से बाहर निकलने के लिए जोर लगाया। पर वे और भी फँसते चले गए। आखिर सब मिलकर चिल्लाने लगे और दु:खी होकर आँसू बहाने लगे। वे रोते हुए कहने लगे-“हमने तुम्हारी बात न मानकर बड़ी गलती की है, यदि हमने तुम्हारी बात मानकर लता को नष्ट कर दिया होता तो आज हम इस मुसीबत में न फँसते, अब हम पर दया करके कोई तरकीब बताओ, जिससे हम सबकी जान बच सके। बुद्धिमान हंस ने कहा-“ध्यानपूर्वक सुनोः कल सवेरे जब शिकारी आएगा तो तुम सब अपने को इस प्रकार बना लेना, जैसे मर गए हो। शिकारी तुम्हें मरा हुआ जानकर, जाल से निकालकर पेड़ के नीचे फेंक देगा तो तुम सब उड़ जाना।”
बुद्धिमान हंस की बात हंसों को अच्छी लगी। वे बड़ी उत्सुकता से शिकारी के आने का रास्ता देखने लगे। जैसे-तैसे उन्होंने रात काटी। सवेरा होते ही शिकारी आ गया। उसने लता के द्वारा पेड़ पर चढ़कर देखा, तो शिकारी एक-एक हंस को जाल से निकालकर फेंकने लगा। हंस चुप-चाप साँस रोककर पड़े रहे, ऐसा लग रहा था कि जैसे वे सचमुच मरे हुए हैं, पर जब उसने आखिरी हंस को पेड़ के नीचे फेंका तो सभी हंस फुर्ती से उठ पड़े और पंख फड़फड़ाकर उड़ गए। शिकारी ने उड़ते हुए हंसों की ओर देखा, शिकारी यह देखकर हैरान हो गया, उसे क्या मालूम था कि बुद्धिमान हंस की सलाह मानने से मूर्ख हंसों को नया जीवन मिल गया।
मधुमक्खी और कबूतर
किसी जंगल में नीम का एक पेड़ था। उस पर मधुमक्खियों का बड़ा-सा एक छत्ता था। उसी पेड़ पर कबूतरों का घोंसला भी था। एक दिन मधुमक्खियों की रानी नदी में गिर गई। कबूतर ने यह देख लिया। वह उड़कर गया और अपनी चोंच में पीपल का एक पत्ता दबा लाया। वह मधुमक्खी के ऊपर उड़ता हुआ गया और पत्ता मधुमक्खी के आगे गिरा दिया। मधुमक्खी पत्ते पर आ गई। कबूतर पत्ते को अपनी चोंच में दबाकर ले आया। मधुमक्खी अभी मरी नहीं थी। कबूतर ने पत्ता नीम की छाया में रख दिया। कुछ देर बाद मधुमक्खी ठीक हो गई और उड़कर अपने छत्ते में चली गई।
एक दिन जंगल में एक शिकारी आया। उसने पेड़ पर बैठे कबूतर पर तीर का निशाना लगाना चाहा। छत्ते में बैठी मधुमक्खी ने यह देख लिया। उसने कबूतर को पहचान लिया। यह वही कबूतर था, जिसने उसके प्राण बचाए थे। रानी मधुमक्खी ने छत्ते की सभी मधुमक्खियों को कुछ समझाया। अभी शिकारी तीर छोड़ भी न पाया था कि सारी मधुमक्खियाँ छत्ते से निकलकर उस पर झपट पड़ीं। शिकारी का निशाना चूक गया। इस प्रकार कबूतर की जान बच गई।