Class 8 Hindi Grammar Chapter 25 डायरी लेखन (Dayari Lekhan). Practice Hindi Vyakaran Dayari Lekhan with the help of samples given here for academic session 2024-25. Class VIII Hindi Vyakaran is updated according to new CBSE and State Board Curriculum 2024-25. We have included the contents for state boards also, so that students of UP Board, Bihar Board, MP and Gujrat, etc., can take the benefits of these grammar learning concepts.
कक्षा 8 हिन्दी व्याकरण पाठ 25 डायरी लेखन
कक्षा: 8 | हिन्दी व्याकरण |
अध्याय: 25 | डायरी लेखन |
Class 8 Hindi Grammar Chapter 25 डायरी लेखन
डायरी लेखन
डायरी में निजी अनुभव, प्रतिदिन घटित होने वाली घटनाओं का लेखा-जोखा, तथ्य-संग्रह, संपर्क में आए व्यक्तियों, नए अनुभवों, नए स्थानों, नई घटनाओं आदि का संक्षिप्त विवरण होता है। इसलिए इसे दैनदिनी भी कहते हैं। इसे लिखने के पीछे लेखक की मंशा जीवन में घटित-घटनाओं को लंबे समय तक याद रखना होता है। इस प्रकार जब कोई व्यक्ति दिनभर की घटनाओं और अनुभवों को लिखता है तो उसे डायरी लिखना कहते हैं।
डायरी की विशेषताएँ:
- 1. डायरी में प्रतिदिन की घटनाएँ कलात्मक ढंग से लिखी जाती हैं।
- 2. डायरी में उन्हीं घटनाओं का विवरण रहता है, जो व्यक्ति को बहुत अधिक प्रभावित करती हैं।
- 3. मन पर पड़े प्रभाव डायरी में उसी दिन लिख दिए जाते हैं।
- 4. डायरी में संक्षिप्तता रहती है, विस्तार नहीं होता।
- 5. डायरी एक तरह की आत्मकथा का ही रूप होती है।
डायरी लेखन के कुछ उदाहरण
07 अगस्त, 20xx रात्रि 9 बजे
आज मैं पूरे दिन व्यस्त रहा। अपना होमवर्क पूरा किया। विद्यालय में एक भाषण प्रतियोगिता थी, उसमें भाग लिया। आज की भाषण प्रतियोगिता का विषय था-परिश्रम का महत्त्व। मैंने बताया-सफलता प्राप्त करने का सबसे महत्त्वपूर्ण साधन है-परिश्रम। जीवन की इच्छाओं और मनोकामनाओं को पूरा करना है, तो परिश्रम जरूरी है। जो व्यक्ति परिश्रम नहीं करता, उसका जीवन बेकार हो जाता है। वह आलसी और रोगी हो जाता है। कविवर हरिऔध ने परिश्रमी की प्रशंसा में कहा है-
देखकर बाधा विविध बहु विघ्न घबराते नहीं, रह भरोसे भाग्य के दुख भोग पछताते नहीं।
सबने एक स्वर से स्वीकार किया श्रम करने वाला ही यश पाता है। श्रम के बल पर लोगों ने बड़े-बड़े साम्राज्य खड़े किए हैं।
17 सितम्बर, 20xx रात्रि 10 बजे
आज भी सारा दिन बिजली नहीं आई। शाम को सात बजे बिजली ने दर्शन दिए लेकिन 10 मिनट बाद ही चली गई। अपनी डायरी में इन्वर्टर की कम रोशनी में लिख रहा हूँ। कई दिन से बिजली की आँख-मिचौली चल रही थी। बार-बार आती थी और भाग जाती थी किंतु कल से तो कई-कई घंटों तक बिजली न आने से जन-जीवन ठप्प हो गया है। बिजली नहीं तो पानी नहीं। बरसात की उमस में बेहाल तन, पसीने से तर-बतर शरीर। कैसे कटे सारा दिन। हमारे विद्यालय में तो जनरेटर लगा हुआ है। लेकिन वह भी कितना काम करेगा। घर पर कंप्यूटर और टेलीविजन बंद पड़े हैं। इतना हुआ कि पहले हम सब लोग अलग-अलग कमरों में बैठकर अपने-अपने काम में व्यस्त रहते थे। आपस में मिलने का समय कम ही मिलता था। अब सब लोग एक ही कमरे में बैठकर एक ही पंखे से काम ले रहे हैं। एक साथ बैठकर खाना खाते हैं, गपशप करते हैं और बिजली के साथ-साथ नगर और देश की घटनाओं पर चर्चा करते हैं। परेशानी में भी सुख खोजने की स्थिति पर हम सब मिलकर हँसते रहते हैं।
10 नवंबर, 20xx
परीक्षा भवन देर से पहुँचा। रास्ते में बस खराब हो गई थी। परीक्षक ने धैर्य बँधाया और प्रश्न-पत्र पकड़ाया तो थोड़ी राहत मिली। लेकिन प्रश्न-पत्र पढ़कर ऐसा लगा जैसे दिमाग सुन्न पड़ गया है। कुछ याद नहीं आ रहा था। मन रोने को हो रहा था। तभी अपने आप न जाने कहाँ से हिम्मत जुटा फिर से प्रश्न-पत्र पढ़ा तो कुछ हिम्मत आई कि केवल प्रश्नों का रूप बदला है। जो प्रश्न याद किए थे ये प्रश्न भी लगभग वैसे ही हैं। चेहरा खिल उठा और फिर मैंने उत्तर लिखना शुरू कर दिया। आज का पेपर भी अच्छा हुआ है। उम्मीद है अच्छे अंक आ जाएँगे।