Class 8 Hindi Grammar Chapter 22 अलंकार (Alankaar). In Hindi language अलंकार are the tools to improve the beauty of the sentences. Class VIII Hindi Vyakaran is updated for academic session 2024-25. We have prepared all Hindi Vyakaran contents for grade 8 to cover the syllabus of CBSE and other state boards. Contents are given with examples in simple language. All the contents are free to use on Tiwari Academy without any formal login or registration.

कक्षा 8 हिन्दी व्याकरण पाठ 22 अलंकार

कक्षा: 8 हिन्दी व्याकरण
अध्याय: 22 अलंकार और उसके भेद

अलंकार से आप क्या समझते हैं?

अतः काव्य का सौंदर्य बढ़ाने वाले चमत्कार को व्याकरण में अलंकार कहते हैं। निम्नलिखित पंक्तियों पर ध्यान दीजिए।

    • तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।
    • पीपल पात सरिस मन डोला।
    • तू मोहन मैं उर बसी है उरबसी समान।

उपर्युक्त पंक्तियों में शब्दों को सुंदर ढंग से बुना गया है ताकि भाषा में चमत्कार उत्पन्न हो। पहली पंक्ति में “त” वर्ण की आवृत्ति बार-बार हुई है। दूसरी पंक्ति में मन की तुलना पीपल के पत्ते से की गई है। तीसरी पंक्ति में “उरबसी” शब्द का प्रयोग दो बार हुआ है; परंतु दोनों के अर्थ अलग-अलग हैं। और चौथी पंक्ति में हृदय की तुलना ‘नील गगन’ से की गई है। इस प्रकार के प्रयोगों से काव्य की सुंदरता बढ़ जाती है। अतः ये काव्य के आभूषण या अलंकार हैं।

अलंकार के भेद

उपर्युक्त उदाहरणों में विभिन्न अलंकारों का प्रयोग किया गया है। ध्यान से देखने पर हम पाते हैं कि कहीं शब्द के स्तर पर चमत्कार उत्पन्न किया गया है तो कहीं अर्थ के स्तर पर। जैसे- उदाहरण “क” और “ग” में शब्द के स्तर पर सौंदर्य की वृद्धि हो रही है जबकि उदाहरण ‘ख’ और ‘घ’ में अर्थ के स्तर पर सौंदर्य है। चूँकि साहित्य में शब्द और अर्थ दोनों महत्त्वपूर्ण होते हैं, इसलिए कुछ अलंकार शब्दों के चमत्कार पर आधारित होते हैं; जबकि कुछ अन्य अर्थ के स्तर पर चमत्कार उत्पन्न करते हैं। इसी आधार पर अलंकारों के दो भेद माने गए हैं:

    1. शब्दालंकार
    2. अर्थालंकार
1. शब्दालंकार

जहाँ शब्दों में चमत्कार उत्पन्न करके काव्य को सजाया जाता है, वहाँ शब्दालंकार होता है। प्रमुख शब्दालंकार हैं:

    • (i) अनुप्रास
    • (ii) यमक
    • (iii) श्लेष
(i) अनुप्रास अलंकार

जहाँ एक ही वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार होती है, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। जैसे:
“चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही थीं जल थल में।”
यहाँ “च” वर्ण की आवृत्ति बार-बार हुई है। अतः यहाँ अनुप्रास अलंकार है।

(ii) यमक अलंकार

जहाँ एक शब्द की एक से अधिक बार आवृत्ति हो, परंतु उसके अर्थ अलग-अलग हों, वहाँ यमक अलंकार होता है। जैसे:
“काली घटा का घमंड घटा।”
यहाँ, ‘घटा’ शब्द की आवृत्ति दो बार हुई है और दोनों जगह वह अलग-अलग अर्थ प्रदान कर रही है। पहले “घटा” का अर्थ है: “काले बादल” जबकि दूसरे स्थान पर “घटा” का अर्थ है- “घटना या कम होना”।

(iii) श्लेष अलंकार

जहाँ एक शब्द का प्रयोग एक ही बार हो, परंतु उसके अर्थ एक से अधिक हों, वहाँ श्लेष अलंकार होता है। जैसे:
जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय। बारे उजियारो करै, बढ़े अंधेरो होय ॥
इस दोहे में “बारे” तथा “बढ़े” इन दो शब्दों का एक ही बार प्रयोग हुआ है, परंतु इनके दो-दो अर्थ निकलते हैं:
“बारे” (1) जलाने से और (2) छोटा होने पर। इसी प्रकार, बढ़े- (1) बुझने पर और (2) बढ़ा होने पर। अतः यहाँ श्लेष अलंकार है।

2. अर्थालंकार

जिस काव्य में शब्द के बजाए अर्थ में चमत्कार उत्पन्न हो रहा हो, वहाँ अर्थालंकार होता है।
प्रमुख अर्थालंकार हैं:

    • (i) उपमा
    • (ii) रूपक
    • (iii) उत्प्रेक्षा
    • (iv) अतिशयोक्ति
    • (v) मानवीकरण
(i) उपमा अलंकार

जहाँ किसी एक व्यक्ति या वस्तु के समान गुणधर्म को लेकर तुलना की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। जैसे:
“काजल की रेखा सी कतार है खजूर की।“
यहाँ “खजूर की कतार” को “काजल की रेखा” के समान बताया गया है। अतः यहाँ उपमा अलंकार है।

(ii) रूपक अलंकार

जहाँ एक वस्तु की तुलना दूसरी वस्तु से न करके उसे दूसरी वस्तु का रूप दे दिया जाए वहाँ रूपक अलंकार होता है। जैसे:
“चरण-कमल वन्दौं हरिराई”
यहाँ भगवान के चरण और कमल को एक कर दिया गया है। यहाँ यह अभेद बना हुआ है कि किसकी तुलना किससे की गई है। अतः यहाँ रूपक अलंकार है।

(iii) उत्प्रेक्षा अलंकार

जहाँ एक वस्तु में दूसरी वस्तु की संभावना या कल्पना की जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। उत्प्रेक्षा अलंकार में मनों, मानो, मनु, जानो, जनु आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है। जैसे:
“उस काल मारे-क्रोध के, तन काँपने उसका लगा। मानो हवा के वेग से, सोता हुआ सागर जगा॥”
यहाँ अभिमन्यु की मृत्यु के बाद अर्जुन के क्रोध की संभावना समुद्र के उफानों से गई है। साथ ही “मानो” शब्द का भी प्रयोग हुआ है। अतः यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है।

(iv) अतिशयोक्ति अलंकार

जहाँ किसी वस्तु या बात का वर्णन बहुत बढ़ा-चढ़ाकर किया जाता है, वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है। जैसे:
“हनुमान की पूँछ में लगन न पाई आग। लंका सिगरी जल गई, गए निशाचर भाग॥”
यहाँ हनुमान की पूँछ में आग लगने व लंका के जलने तथा राक्षसों के भागने का वर्णन बढ़ा-चढ़ाकर किया गया है। अतः यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।

(v) मानवीकरण

जब किसी निर्जीव वस्तु का वर्णन सजीव वस्तुओं से किया जाता है तो उसे मानवीकरण अलंकार कहते हैं। जैसे:
फूल हँसे कलियाँ मुसकाई।

Class 8 Hindi Grammar Chapter 22 अलंकार
अलंकार
CBSE Class 8 Hindi Grammar Chapter 22 अलंकार
Last Edited: June 22, 2023