Class 8 Hindi Grammar Chapter 21 विराम चिन्ह (Viraam Chinh). Class 8 Hindi Vyakaran is updated for academic session 2024-25 and useful for CBSE as well as State boards also. Students of UP Board, MP Board, Gujrat, Maharashtra, Rajasthan and other states can take the benefits of these contents. We have explained all the terms related विराम चिन्ह in simple language with suitable examples.
कक्षा 8 हिन्दी व्याकरण पाठ 21 विराम चिन्ह
कक्षा: 8 | हिन्दी व्याकरण |
अध्याय: 21 | विराम चिन्ह |
Class 8 Hindi Grammar Chapter 21 विराम चिन्ह
विराम चिन्ह किसे कहते हैं?
विराम का अर्थ है- रुकना। यदि हम कहीं बाहर जा रहे हैं और समय-समय पर न रुकें तो सड़क के नियमों का उल्लंघन होता है। उसी प्रकार जब हम कुछ बोल रहे हैं और यदि बिना रुके कुछ बोलते जाएँ तो भावों की अभिव्यक्ति पूर्ण रूप से नहीं हो पाती। लिखते समय वाक्य के बीच में तथा अंत में विराम को प्रकट करने के लिए कुछ निश्चित चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, जिन्हें विराम-चिह्न कहते हैं।
ध्यान दीजिए: विराम-चिह्नों के प्रयोग से वाक्य का आशय स्पष्ट हो जाता है। विराम-चिह्नों के अभाव में वाक्य का सही अर्थ स्पष्ट नहीं होता। जैसे:
- (क) आयुष आया है। (सामान्य सूचना)
- (ख) आयुष आया है? (प्रश्नवाचक)
- (ग) रमेश आया है! (आश्चर्य का भाव)
देखा आपने, (।) (?) (!) विराम-चिह्नों के प्रयोग से वाक्य का आशय पूरी बदल गया।
हिंदी में निम्नलिखित विराम-चिह्नों का प्रयोग होता है:
विराम शब्द | विराम चिह्न |
---|---|
पूर्ण विराम | ( । ) |
अल्प विराम | ( , ) |
अर्ध विराम | ( ; ) |
उपविराम | ( : ) |
प्रश्नसूचक चिह्न | ( ? ) |
विस्मयादि बोधक चिह्न | ( ! ) |
योजक चिह्न | (-) |
उद्धरण चिह्न | ( “…..”) |
निर्देशक चिह्न | (-) |
कोष्ठक | [ () ] |
लाघव चिह्न | (०) |
1. पूर्ण विराम (।)
वाक्य के पूर्ण होने पर अर्थात् एक भाव या विचार की पूर्णता पर पूर्ण विराम का प्रयोग किया जाता है। वाक्य चाहे छोटा हो या बड़ा, पूर्ण विराम उसके अंत में ही आता है।
- (क) रमेश घर जाता है।
- (ख) आयुष नहीं पढ़ता है।
- (ग) जल्दी जाओ।
2. अल्प विराम (,)
यह चिह्न निम्नलिखित स्थितियों में प्रयोग किया जाता है:
- (क) एक ही एक प्रकार के दो या दो से अधिक शब्दों का पदबंधों को अलग-अलग दिखाने के लिए जैसे: रमेश, अजीत, हरि, प्रणव, अमन, नमन, रमन आदि।
- (ख) संबोधन के बाद, जैसे: आयुष, तुम इधर आओ। सुनो, मेरी बात ध्यान से सुनो।
- (ग) उद्धरण चिह्न से पहले, जैसे: चाचाजी ने कहा, “आज हम लालकिला देखने जाएंगे।”
- (घ) पत्र में अभिवादन लिखते समय, समापन के समय, पता लिखते समय तथा महीने की तारीख और वर्ष को अलग-अलग करने के लिए: जैसे: पूज्य पिताजी, अभिवादन, भवदीय (समापन), अमन सिंहा, एल-524 पीतमपुरा (पता), 07 नवंबर, 2016 (तारीख और सन्)
3. अर्ध विराम (;)
पूर्ण विराम और अल्प विराम के मध्य का चिह्न ( ; ) “अर्ध विराम” है। इसमें पूर्ण विराम से कम समय तथा अल्पविराम से अधिक रुकना पड़ता है। जैसे:
1. भारत संसार का धर्मगुरु है; ऐसा सभी मानते हैं।
2. मैं आपका पैसा चुका दूंगा; निश्चिंत रहिए।
(क) जब दो या दो से अधिक स्वतंत्र उपवाक्यों के बीच कोई योजन न हो, तो अर्द्ध-विराम का प्रयोग किया जाता है। जैसे:
वह देर से उठा, नहाकर उसने नाश्ता किया; अपनी साइकिल उठाई और चल दिया।
(ख) मिश्रित या संयुक्त वाक्यों में दो विपरीत अर्थ प्रकट करने वाले उपवाक्यों के बीच में इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है। जैसे:
मैं उसे चाहता हूँ। वह मुझे नहीं चाहती।
4. प्रश्नवाचक चिह्न
जिन वाक्यों में प्रश्न पूछा जाए, वहाँ पूर्ण विराम के स्थान पर प्रश्न चिह्न का प्रयोग होता है। जैसे:
- (क) आप कौन हैं?
- (ख) आप कहाँ से आए हैं?
5. विस्मयादिबोधक चिह्न (!)
आश्चर्य, भय, घृणा, हर्ष, शोक आदि भावों को प्रकट करने के लिए इन चिह्नों का प्रयोग किया जाता है। जैसे:
(क) अरे! तुम यहाँ कैसे?
(ख) वाह! क्या सुंदर दृश्य है।
(ग) अरे! भारत हार गया!
संबोधन में भी संबोधन शब्द के बाद विस्मयादिबोधक चिह्न का प्रयोग किया जाता है। जैसे:
उपस्थित महानुभाव! बड़े हर्ष का विषय है कि आपने यह कार्य आरंभ किया है।
6. निर्देशक चिह्न (-)
निर्देशक-चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित वाक्यों में होता है- विषय-विभाग संबंधी हर शीर्षक के आगे, जहाँ उद्धरण देना हो, उदाहरण या जैसे के बाद, लेखक के नाम के आगे तथा संवाद में बोलने वाले की बात से पहले इसका प्रयोग किया जाता है। जैसे:
- (क) आकाश-आज मैं दशहरा मेला देखने जा रहा हूँ।
- (ख) सोनिया-मुझे घर जल्दी जाना है।
7. योजक चिह्न (-)
योजक का अर्थ है जोड़ने वाला। इसलिए योजक दो शब्दों को जोड़ने के लिए अर्थात् सामासिक पदों, पुनरुक्त या युग्म शब्दों के बीच में लगाया जाता है। जैसे: राम और श्याम दोनों अच्छे मित्र हैं।
8. उद्धरण चिह्न ( “….”)
उद्धरण इकहरे या दुहरे दो प्रकार के होते हैं। किसी दूसरे की कही हुई बात को ज्यों का त्यों बताने के लिए दुहरे उद्धरण चिह्न का प्रयोग होता है।
जैसे: सुभाष चंद्र बोस ने कहा था, “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।”
उद्धरण चिह्न दो प्रकार के होते हैं:
(क) दोहरा उद्धरण चिह्न (“……”)
1. किसी व्यक्ति के कथन को मूल रूप में उद्धृतक करने के लिए दोहरे उद्धरण चिह्न (“……..”) का प्रयोग किया जाता है।
जैसे: “स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है” -लोकमान्य तिलक।
इकहरा उद्धरण चिह्न (‘……’)
किसी के उपनाम, लेख, समाचारपत्र या पुस्तकों के शीषकों को उदघृत करते समय इकहरे उद्धरण चिह्न (‘……’) का प्रयोग किया जाता है। जैसे:
(क) अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
(ख) ‘साकेत’ गुप्त जी की श्रेष्ठ रचना है।
9. लाघव चिह्न (०)
शब्दों को संक्षिप्त रूप में लिखने के लिए इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है। जैसे:
शब्द | संक्षिप्त रूप |
---|---|
डॉक्टर | डा० |
पंडित | पं० |
उत्तर प्रदेश | उ०प्र० |
ईस्वी | ई० |
कृपया पृष्ठ उलटिए | कृ०प्र०उ०। |
10. कोष्ठक चिह्न [()]
किसी पद का अर्थ प्रकट करने के लिए या किसी वाक्यांश का अर्थ प्रकट करने के लिए नाटक में पात्र की क्रिया आदि का चित्रण करने के लिए कोष्ठक चिह्न का प्रयोग है। जैसे:
(क) सतत (लगातार) अध्ययन करने से हर कार्य आसान हो जाता है।
(ख) द्वारपालः (सिर झुकाकर) राजन! संवाददाता आना चाहता है।
(ग) क्रम सूचक अंकों एवं शब्दों को अलग दिखाने के लिए
भारत की निर्धनता के मुख्य तीन कारण हैं:
- 1. जनसंख्या की वृद्धि
- 2. उद्योग-धंधों की कमी
- 3. अर्थव्यवस्था की कृषि पर निर्भरता।