Class 8 Hindi Grammar Chapter 2 वर्ण विचार (Varn Vichar). Get here updated contents for class 8 Vyakaran applicable for CBSE Session 2024-25. Here we will learn about Varnmala, Varn Bhed, Swar, Swar ke bhed, etc. Students of other board like UP Board, MP board also take the benefit of these contents free of cost.

कक्षा 8 हिन्दी व्याकरण पाठ 2 वर्ण विचार

कक्षा: 8हिन्दी व्याकरण
अध्याय: 2 वर्ण विचार

वर्ण विचार

वर्ण मौखिक भाषा की मूल ध्वनियों को व्यक्त करने वाले चिह्नों को वर्ण कहते हैं। रचना की दृष्टि से भाषा की सबसे छोटी इकाई वर्ण है।
परिभाषाः
वह छोटी से छोटी ध्वनि या मुँह से निकली आवाज, जिसके और टुकड़े न किए जा सकें, वर्ण कहलाती है। जिस रूप में हम वर्ण को लिख देते हैं, उसे “अक्षर” कहा जाता है।
जैसे- अ, उ, ए, ग, झ, ढ, प, व आदि।

वर्णमाला

वर्गों के समूह को वर्णमाला कहते हैं। हिंदी में 52 वर्ण हैं जिनका प्रयोग देवनागरी लिपि में किया जाता है।

हिंदी वर्णमाला

1. अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ ऋ = 11
2. अं अः = 2
3. क ख् ग् घ् ङ; च छ् ज् झ् ञ्; ट् ठ् ड् ढ् ण् ।
त थ द् ध् न्; प् फ् ब् भ् म्; य् र् ल् व्; श् स् ह् = 33
4. ड़, ढ़ = 2
5. क्ष त्र ज्ञ श्र = 4

वर्ण-भेद

उच्चारण और प्रयोग के आधार पर हिंदी वर्णमाला के वर्गों को दो वर्गों में बाँटा गया है-

    1. स्वर
    2. व्यंजन
स्वर

जिन वर्णों का उच्चारण स्वतंत्र रूप से किया जाता है, उन्हें स्वर कहा जाता है। हिंदी वर्णमाला में स्वर हैं- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।

विशेष

देवनागरी वर्णमाला में अं, अः को स्वरों के साथ लिखा जाता है, पर वास्तव में अं अनुस्वार () और अः विसर्ग (:) व्यंजन हैं। स्वर उच्चारण के बाद ही इनका उच्चारण संभव होता है। जैसे- संस्कार, इंगित, अतः, प्रात: आदि। विसर्ग का प्रयोग हिंदी में प्रचलित संस्कृत शब्दों में ही होता है।

स्वरों के भेद

मुख्य रूप से स्वर दो प्रकार के होते हैं-

    • (क) हृस्व स्वर
    • (ख) दीर्घ स्वर
हृस्व स्वर

इन स्वरों के उच्चारण में कम समय लगता है। इनकी संख्या चार है-
अ, इ, उ, ऋ

दीर्घ स्वर

इन स्वरों के उच्चारण में हृस्व स्वर से दुगुना समय लगता है। इनकी संख्या सात है-
आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ
दीर्घ स्वर से भी लंबा प्लुत् स्वर होता है, जैसे- आ ऽऽ, ई ऽऽ! नाटकों के संवाद में इसका प्रयोग अनुनासिक और अनुस्वार होता है।

अनुनासिक

जब स्वर मुख और नाक से बोला जाता है तब वह अनुनासिक स्वर कहलाता है। जैसे-

    • (क). आँख
    • (ख). मुँह
    • (ग). दाँत
    • (घ). आँगन आदि।
अनुस्वार

जिस स्वर के उच्चारण में हवा केवल नाक से निकलती है उसे अनुस्वार कहते हैं। जैसे-

    • (क). संत
    • (ख). गंगा
    • (ग). कंस
विसर्ग

विसर्ग का उच्चारण “ह्” ध्वनि के समान होता है। इसका चिह्न है (:) जैसे-

    • (क). अतः
    • (ख). प्रातः
    • (ग). स्वतः

स्वरों के मात्रा-चिह्न

स्वरों के मात्रा-चिह्न निश्चित हैं। इन चिह्नों का प्रयोग व्यंजनों के साथ किया जाता है। व्यंजन स्वयं में आधे होते हैं। इनके साथ स्वर लगने से ये पूर्ण होते हैं। इनका उच्चारण स्वरों की सहायता से ही किया जा सकता है। इनके साथ स्वर मात्राओं के रूप में प्रयुक्त होते हैं

स्वर मात्रा-प्रयोग उदाहरण
क् + अ = ककलम, सरल
का काला, चारा
कॉ कॉलेज, डॉक्टर
कि किस, गिर
की कीचड़, कीमती
कु कुल, पुल
स्वर मात्रा-प्रयोग उदाहरण
कू कूलर, कूप
कृ कृपया, गृह
के केला, केरल
कै कैसा, भैया
को कोटर, तोता
कौ कौन, चौड़ा
व्यंजन

जिन वर्णों का उच्चारण स्वरों की सहायता के बिना नहीं किया जा सकता, उन्हें व्यंजन कहते हैं। इनके उच्चारण में मुँह की हवा कंठ, जीभ, दाँत, होंठ आदि रुकावट के साथ बाहर आती है।

व्यंजनों के भेद

व्यंजनों के मुख्य रूप से तीन भेद हैं-

(क) स्पर्शः व्यंजन

इनका उच्चारण करते समय जीभ मुख से विभिन्न स्थानों का स्पर्श करती है। इनकी संख्या 25 है

व्यंजन वर्ग व्यंजन
क वर्ग क, ख, ग, घ, ङ
च वर्ग च, छ, ज, झ, ञ
ट वर्ग ट, ठ, ड, ढ, ण
त वर्ग त, थ, द, ध, न
प वर्ग प, फ, ब, भ, म
(ख) अंतस्थ व्यंजन

इनका उच्चारण स्वर और व्यंजन के मध्य का सा लगता है, अतः इन्हें अंतस्थ कहते हैं। इनकी संख्या चार है- य, र, ल, व।

(ग) उष्म व्यंजन

इनके उच्चारण में वायु के रगड़ खाने से एक प्रकार की उष्मा (गरमी) सी पैदा होती है, अतः इन्हें ऊष्म व्यंजन कहते हैं। इनकी संख्या चार है- श ष स ह।

विशेष

जब किसी व्यंजन में “अ” की ध्वनि नहीं मिली होती, तो उसके नीचे एक तिरछी रेखा खींच दी जाती है, जिसे हल या हलंत कहते हैं, जैसे- क्, म् आदि।

संयुक्त व्यंजन

जब किसी शब्द के दो या दो से अधिक व्यंजनों के बीच में कोई स्वर-ध्वनि न हो तब ये आपस में जुड़कर उच्चारित होते हैं, और लिखते समय इन्हें मिलाकर लिखा जाता है। जैसे-
(क). रक्त (क्त)
(ख). सत्य (त्य)

इस प्रकार स्वर रहित व्यंजनों के मेल को संयुक्त व्यंजन कहते हैं। हिंदी में कुछ ऐसे भी संयुक्त व्यंजन हैं, जो लिखाई में बिल्कुल नया रूप धारण कर लेते हैं। जैसे-

संयुक्त व्यंजन उदाहरण
क् + ष = क्ष कक्ष, अक्षर
र = त्र नेत्र, त्रिकाल
ज् + ञ = ज्ञ यज्ञ, ज्ञान
श् + र = श्र श्रम, श्रवण

वर्णों का उच्चारण स्थान

वर्णों का उच्चारण “वाक्-यंत्र” की सहायता से होता है। मुख के जिस भाग से जो वर्ण बोला जाता है, वही भाग उस वर्ण का उच्चारण स्थान कहलाता है। ध्वनियों (वर्णों) के उच्चारण में निम्नलिखित अंग काम करते हैं। जैसे-

    1. स्वर तंत्रियाँ
    2. मुख विवर
    3. नासिका विवर
    4. अलि-जिह्वा
    5. कठोर तालु
    6. मूर्ध,
    7. कोमल तालु
    8. वर्ल्स
    9. जिह्वा
    10. दाँत
    11. ओष्ठ
    12. श्वासनली
उच्चारण-तालिका
उच्चारण स्थान वर्ण वर्ण का नाम
कंठ अ, आ, क, ख, ग, घ, ङ., हकंठ्य
तालु इ, ई, च, छ, ज, झ, ञ य, श तालव्य
मूर्ध ऋ, ट, ठ, ड, ढ, ण, र, ष मूर्धन्य
दंत त, थ, द, ध, न, ल, स दंत्य
ओष्ठ उ, ऊ, प, फ, ब, भ, म ओष्ठ्य
नासिका ड़, ञ, न, ण, म, अनुस्वार नासिक्य
कंठ-तालु ए, ऐ कंठ-तालव्य
कंठ-ओष्ठ ओ, औ कंठोष्ठ्य
दंत-ओष्ठ दंतोष्ठ्य
ड़, ढ़ का प्रयोग

“ड़” और “ढ़” वर्ण शब्द के आदि में नहीं आते लेकिन मध्य और अंत में इनका प्रयोग होता है, जैसे-
(क). पड़ना – पढ़ना
(ख). पीड़ा – पीढ़ा
(ग). बड़ा – बढ़ा

स्मरणीय तथ्य

वह छोटी से छोटी ध्वनि या मुँह से निकली आवाज, जिसके और टुकड़े न किए जा सकें, वर्ण कहलाती है। वर्गों के समूह को वर्णमाला कहते हैं। जिन वर्णों का उच्चारण स्वतंत्र रूप से किया जाता है, उन्हें स्वर कहते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं- 1. हृस्व स्वर, 2. दीर्घ स्वर जिन वर्णों का उच्चारण स्वरों की सहायता के बिना नहीं किया जा सकता, उन्हें व्यंजन कहते हैं। व्यंजनों के तीन भेद हैं- स्पर्श, अंतस्थ और ऊष्म।

वर्ण विचार
Class 8 Hindi Grammar Chapter 2
Class 8 Hindi Vyakaran Chapter 2 वर्ण विचार
CBSE Class 8 Hindi Grammar Chapter 2 वर्ण विचार
Last Edited: May 2, 2023