Class 8 Hindi Grammar Chapter 15 संधि (Sandhi). These contests of Hindi Vyakaran are prepared not only for CBSE Board but the state boards also and updated for session 2024-25. Students will get here various examples of संधि and Sandhi ke bhed with complete explanation. Examples are prepared for class 8 standard in easy to understand format. Contents are free to use or download without any login or password.
सामान्य रूप में संधि का अर्थ ‘मेल’ होता है। व्याकरण में इसका अर्थ दो वर्णों के मेल से उत्पन्न विकार होता है। दो वर्णों के निकट आने से उनमें ध्वनि-संबंधी मेल उत्पन्न हो जाता है, इसे ही संधि कहते हैं। जैसे:
- धर्म + अर्थ = धर्मार्थ – यहाँ धर्म के अंत में “अ” और अर्थ के आरंभ में “अ” है। दोनों को मिलाकर “आ” हो गया। “अ” तथा “अ” दोनों वर्ण स्वर है।
- परमानंद = परम + आनंद – “परम” और “आनंद” शब्दों से मिलकर “परमानंद” शब्द बना है। “परम” शब्द के अंत (व्+अ) का “अ” और आनंद शब्द का “आ” मिले हैं और “आ” बना है। इस प्रकार परम + आनंद = परमानंद बना है।
- शिवालय = शिव + आलय – “शिव” और ‘”आलय” शब्दों से मिलकर “शिवालय” शब्द बना है। शिव शब्द के अंत (व्+अ) का “अ” और आलय शब्द “का” ‘आ’ मिले हैं और “आ’ बना है। इस प्रकार शिव + आलय = शिवालय बना है।
संधि के द्वारा बने शब्दों को अलग-अलग करना संधि-विच्छेद कहलाता है।
संधि के भेद संधि के तीन भेद हैं:
- 1. स्वर संधि
- 2. व्यंजन संधि
- 3. विसर्ग संधि
दो स्वरों के आपस में मिलने पर जो परिवर्तन होते हैं, उन्हें स्वर संधि कहते हैं।
जैसे:
देव+आलय = देवालय (अ + आ = आ)
पर + उपकार = परोपकार (अ + उ = ओ)
स्वर संधि के पाँच भेद होते हैं:
- 1. दीर्घ संधि
- 2. गुण संधि
- 3. वृद्धि संधि
- 4. यण संधि
- 5. अयादि संधि
हिंदी में स्वर दो प्रकार के होते हैं- ह्रस्व, जैसे- अ, इ, उ, ऋ और दीर्घ जैसे आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ। ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ परस्पर निकट आ जाएँ तो दोनों के मेल से दीर्घ “आ”, “ई”, “ऊ” हो जाते हैं। इसे दीर्घ संधि कहते हैं।
जब अ, आ का इ, ई से मेल होता है तो इनके स्थान पर क्रमशः ए हो जाता है उ, ऊ से मेल होने पर ओ तथा अ, आ का ऋ से मेल होने पर अर हो जाता है। तो इसे गुण संधि कहते हैं।
जब अ, आ के बाद ए, ऐ या ओ, औ स्वर आएँ, तो दोनों के स्थान पर क्रमशः ऐ और औ हो जाते हैं। इस मेल को वृद्धि संधि कहते हैं।
इ, ई, उ, ऊ, या, ऋ के बाद यदि कोई अन्य स्वर आ जाए तो इ, ई का य्, उ, ऊ’ का व् और ऋ का र हो जाता है। स्वरों के इस मेल को यण संधि कहा जाता है।
जब ए, ऐ, ओ, औ के बाद कोई अन्य स्वर आए तो ए का अय् ऐ को आयु का अन् और औ का आव् हो जाता है। स्वरों के इस मेल को अयाधि संधि कहा जाता है।
किसी व्यंजन का स्वर या व्यंजन से मेल होने पर जो विकार या परिवर्तन होता है, उसे व्यंजन संधि कहते हैं। जैसे-
“क” वर्ग के प्रथम वर्ण का उसी वर्ग के तृतीय वर्ण में परिवर्तन- क्, च्, ट्, त्, प के बाद यदि कोई स्वर या उसी वर्ग का तीसरा या चौथा व्यंजन (गू, घ, ज, झ, ड्, ढ़, द्, घ्, व, म) या (य्, र, ल, व्, ह) में से कोई व्यंजन आएं तो क, का, ‘ग’, च् का ज, ट् को ड और प् का ‘ब’ हो जाता है। जैसे-