Class 8 Hindi Grammar Chapter 1 भाषा और व्याकरण (Bhasha aur Vyakaran). Get here the updated contents for class 8 Hindi Vyakaran based on latest CBSE Curriculum 2024-25. Learn here about भाषा और व्याकरण with complete description and examples in simple language.

कक्षा 8 हिन्दी व्याकरण – भाषा और व्याकरण

कक्षा: 8हिन्दी व्याकरण
अध्याय: 1 भाषा और व्याकरण

भाषा और व्याकरण

भाषा वह साधन है जिसके द्वारा मनुष्य अपने मन के भावों और विचारों को बोलकर और लिखकर प्रकट करता है। वह भाषा के द्वारा मन के भावों को लिखकर और पढ़कर जानता है। भाषा विचारों और भावों के आदान-प्रदान का साधन है।
“भाषा” शब्द “भाष्” धातु से बना है, जिसका अर्थ है- भाषण या बोलना। मनुष्य अपने मन के भावों को भाषा के माध्यम से अभिव्यक्त करता है। वह मन की बात बोलकर बताता है। वह मन की बातों को लिखकर भी प्रकट करता है। मनुष्य संकेतों के द्वारा भी अपने मन के विचार प्रकट करता है। संकेतों के द्वारा विचारों को एक सीमा तक ही अभिव्यक्त किया जा सकता है। वह मन की प्रसन्नता को मुस्कराकर, हँसकर और ठहाके लगाकर प्रकट कर सकता है। वह अपने दुखों अथवा कष्टों को मुख के हाव-भावों से प्रकट करता है। परंतु वह प्रसन्नता अथवा दुख के कारण को संकेतों के द्वारा नहीं बता सकता। इसके लिए भाषा ही एकमात्र साधन है।

भाषा के रूप

संसार की समस्त भाषाओं के दो रूप हैं-

    • 1. मौखिक भाषा
    • 2. लिखित भाषा
मौखिक भाषा

मुख से बोली जाने वाली भाषा, मौखिक भाषा कहलाती है। इसे कथित और उच्चरित भाषा भी कहते हैं।

लिखित भाषा

भाषा का लिखा हुआ रूप लिखित भाषा कहलाता है। भाषा का लिखित रूप स्थायी होता है।

भारतीय भाषाएँ

संस्कृत भारत की प्राचीनतम भाषा है। भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में देश की अठारह भाषाएँ राष्ट्रीय भाषाएँ स्वीकार की गई हैं। उनके नाम इस प्रकार हैं- असमिया, उर्दू, उड़िया, कन्नड़, कश्मीरी, गुजराती, तमिल, तेलुगू, पंजाबी, बंगला, मराठी, मलयालम, संस्कृत, सिंधी, हिंदी, कोंकणी, नेपाली, मणिपुरी।

राजभाषा और राष्ट्रभाषा

लिपि

आप जानते हैं कि भाषा का प्रयोग दो प्रकार से किया जाता है-बोलकर और लिखकर। बोलकर कही गई बात अधिक समय तक सुरक्षित नहीं रखी जा सकती है। बोलते ही बात समाप्त हो जाती है। इसलिए उसे सुरक्षित रखने के लिए कुछ विशेष चिह्नों का प्रयोग किया जाता है। इन चिह्नों को ही हम लिपि कहते हैं। विश्व में सभी भाषाओं को लिखने के अलग-अलग ढंग हैं। इसलिए विश्व की विभिन्न भाषाओं की लिपियाँ भी अलग-अलग हैं। हिंदी, संस्कृत, गुजराती, मराठी भाषाओं की लिपि को देवनागरी कहा जाता है। अंग्रेजी को रोमन लिपि में लिखते हैं तथा उर्दू की लिपि फ़ारसी है। पंजाबी भाषा की लिपि गुरुमुखी है।

देवनागरी लिपि की विशेषताएँ

इस लिपि में हर प्रकार की ध्वनि को प्रकट करने की शक्ति है। इसमें जैसा लिखा हो, वैसा ही बोला जाता है और जैसा बोला जाता है, वैसा ही लिखा जाता है। नागरी लिपि का अक्षरक्रम सर्वोत्तम है। यह वर्णों की उच्चारण विधि के अनुसार है। पहले स्वर आते हैं, उनके पश्चात् व्यंजन आते हैं। देवनागरी लिपि में हिंदी भाषा के सभी अक्षरों के चिह्न विद्यमान हैं। अन्य लिपियों में ये गुण नहीं हैं।

लिपि का महत्त्व

यदि लिपियों का विकास न होता तो न पुस्तकें होतीं और न पुस्तकालय। मानव के इतिहास, ज्ञान, विज्ञान आदि को सुरक्षित नहीं रखा जा सकता था। लिपि के कारण हम उस भाषा के ज्ञान, विज्ञान आदि को चिरकाल तक सुरक्षित कर पाते हैं। लिपि के माध्यम से ही आज शिलालेखों, पुस्तकों आदि में मानव जाति का सारा ज्ञान, विज्ञान, इतिहास विद्यमान है। अतः लिपि का महत्त्व मानव जीवन के कालक्रम के लिए परमावश्यक है।

बोली

हिंदी के अतिरिक्त पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पूर्वी मध्यप्रदेश में अवधी, भोजपुरी, मगही, मैथिलि, छत्तीसगढ़ी और बघेली बोलियाँ बोली जाती हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी मध्यप्रदेश में ब्रज, कन्नौजी, खड़ीबोली, बाँगरू, मेवाड़ी, मेवाती, मारवाड़ी आदि बोलियाँ प्रचलित हैं। हिमाचल प्रदेश तथा उत्तरांचल की प्रमुख बोलियाँ हैं-हिमाचली, गढ़वाली और कुमाऊँनी।

हिंदी की बोलियाँ
पश्चिमी हिंदी पूर्वी हिंदी
खड़ी बोली अवधी
ब्रज भाषा बघेली
हरियाणवी (बाँगरू) छत्तीसगढ़ी
बुंदेली मालवी
बिहारी राजस्थानी पहाड़ी
भोजपुरी जयपुरी हिमाचली
मगही मारवाड़ी गढ़वाली
मैथिली निमाड़ी कुमाऊँनी
कन्नौजी
उपभाषा

जब बोली का क्षेत्र बढ़ जाता है और उसमें साहित्य-रचना होने लगती है, तो बोली उपभाषा बन जाती है, जैसे ब्रज और अवधी बोलियाँ अब उपभाषाएँ बन चुकी हैं।

हिंदी का विकास-क्रम

वैदिक संस्कृत -› लौकिक संस्कृत –› पालि –› प्राकृत -› अपभ्रंश

शौरसेनी उत्तरी शौरसेनी पश्चिमी शौरसेनी
खड़ी बोली कुल्लुई जयपुरी
हरियाणवी गढ़वाली मारवाड़ी
ब्रजभाषा कुमाऊँनी निमाड़ी
बुंदेली मालवी
कन्नौजी
मागधी अर्ध-मागधी
भोजपुरी अवधी
मैथिली छत्तीसगढ़ी
मगही बघेली

खड़ी बोली ही वर्तमान में प्रचलित हिंदी है।

व्याकरण के प्रमुख अंग

(क) वर्ण-विचार
(ख) शब्द-विचार
(ग) वाक्य-विचार
(घ) पद-विचार

वर्ण-विचार

व्याकरण के इस भाग में वर्गों के स्वरूप, मानक रूप, भेद-उपभेद, विविध प्रयोग आदि का विस्तार से विवेचन किया जाता है।

शब्द-विचार

इस भाग में शब्दों की व्युत्पत्ति, भेद-उपभेद, विविध प्रयोग आदि का विस्तार सहित विवेचन किया जाता है।

वाक्य-विचार

इस भाग में वाक्यों के स्वरूप, भेद-उपभेद, विश्लेषण, प्रयोग आदि का विस्तार सहित विवेचन किया जाता है।

पद-विचार

वाक्य में प्रयुक्त शब्द पद कहलाता है। पद-विचार के अंतर्गत पद और उसके भेदों तथा रचना आदि का अध्ययन किया जाता है।

व्याकरण का महत्त्व

व्याकरण द्वारा भाषा का विश्लेषण किया जाता है, इसलिए यह भाषा का विज्ञान है। जिस प्रकार मन का विश्लेषण मनोविज्ञान है, उसी प्रकार वचन या वाणी का अध्ययन भाषा का विज्ञान है। भारतीय मनीषियों ने व्याकरण को सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण स्वीकार किया है। आचार्य पतंजलि ने कहा है कि वेद के छः अंगों में व्याकरण ही मुख्य है।

स्मरणीय तथ्य

भाषा वह साधन है, जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर, लिखकर, पढ़कर व सुनकर अपने मन के विचारों तथा भावों का आदान-प्रदान करता है। बोलकर तथा सुनकर विचारों का आदान-प्रदान करना मौखिक भाषा कहलाता है। लिखकर व पढ़कर विचारों का आदान-प्रदान करने को लिखित भाषा कहते हैं। वह शास्त्र जिसके द्वारा मनुष्य किसी भाषा को शुद्ध रूप से पढ़ना, लिखना व बोलना सीखता है, वह व्याकरण कहलाता है। किसी क्षेत्र-विशेष में बोली जाने वाली भाषा बोली कहलाती है। उच्चारित ध्वनियों को लिखने की विधि को लिपि कहते हैं।

Class 8 Hindi Grammar Chapter 1 भाषा और व्याकरण
भाषा और व्याकरण
Class 8 Hindi Grammar भाषा और व्याकरण
CBSE Class 8 Hindi Grammar Chapter 1 भाषा और व्याकरण
Last Edited: May 2, 2023