Class 7 Hindi Grammar Chapter 36 अनुच्छेद लेखन (Anuchchhed Lekhan). Practice here with given samples of Anuchchhed and prepare for school tests and terminal exams CBSE 2024-25. These are useful for not only CBSE but the State board’s students also. The given below Paragraphs are updated for new academic session 2024-25. Practice to score better in अनुच्छेद लेखन and get confident about the topics of Hindi Vyakaran.
Class 7 Hindi Grammar Chapter 36 अनुच्छेद लेखन
कक्षा 7 हिन्दी व्याकरण पाठ 36 अनुच्छेद लेखन
कक्षा: 7 | हिन्दी व्याकरण |
अध्याय: 36 | अनुच्छेद लेखन |
अनुच्छेद लेखन
अनुच्छेद लेखन निबंध का ही लघु रूप है। अंतर केवल इतना है कि निबंध में जो बात विस्तार से लिखी जाती है, अनुच्छेद में उसी बात का निचोड़ लिखा जाता है। निबंध में, विषय के पक्ष-विपक्ष में विस्तृत चर्चा की जाती है, जबकि अनुच्छेद-लेखन में विषय के किसी एक अंश का विस्तार रहता है। अनुच्छेद में निबंध जैसी व्यापकता तथा विस्तार की गुंजाइश नहीं होती। इसे हम निबंध का संक्षिप्त रूप भी नहीं कह सकते। अनुच्छेद लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- 1. सरल व सुबोध भाषा का प्रयोग करना चाहिए।
- 2. अनुच्छेद के वाक्य छोटे तथा प्रभावशाली हों।
- 3. जो बात कही जाए, वह व्यवस्थित और क्रमबद्ध हो।
- 4. शब्दों की सीमा का ध्यान रखना चाहिए। इसे संक्षेप में लिखना चाहिए।
- 5. अनुच्छेद के प्रथम वाक्य तथा अंतिम वाक्य में यथोचित तालमेल होना चाहिए।
- 6. अनुच्छेद पढ़ने में बिखरा हुआ नहीं होना चाहिए।
- 7. अनुच्छेद की सीमा निर्धारित करना कठिन है। वह न तो बहुत बड़ा होना चाहिए और न बहुत छोटा। किंतु परीक्षा में पूछा जाने वाला अनुच्छेद लगभग 125-150 शब्दों में लिखना चाहिए।
अनुच्छेद – 1 वर्षा ऋतु
वर्षा ऋतुओं की रानी है। जब वह सज-धज कर आती है, तो सारी सृष्टि खिलखिला उठती है। यों कहें कि उसमें प्राकृतिक सुंदरता अपनी तरुणायी पर रहती है। इतना ही नहीं उसके आगमन से सर्वत्र संगीतोत्सव हो जाता है। मेढकों की टर्र-टर्र, झींगुरों की झंकार और मयूरों का नृत्य सारे वातावरण को मदमस्त किए रहता है। साथ ही, वर्षा की उपयोगिता और महत्ता भी अपरम्पार है क्योंकि इसके कारण ही हमारा जीवन धारण संभव है।
अनुच्छेद- 2 हिमालय
हिम + आलय अर्थात् बर्फ का घर। हिमालय भारत के उत्तर में स्थित है। यह संतरी के समान देश की रक्षा करता है। यह उस ओर से शत्रु के प्रवेश में बड़ी बाधा है। यह संसार का सबसे ऊँचा पर्वत है। इसे भारत का मुकुट भी कहते हैं। यह जल, लकड़ी एवं जड़ी-बूटियों का भंडार है तथा अपार प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। यह ऋषि-मुनियों की तप-स्थली है। यह अद्भुत स्वास्थ्य वर्धक स्थान है। मसूरी, नैनीताल, कश्मीर, कुल्लू तथा अन्य अनेक स्थान यहाँ अवस्थित हैं। यह लगभग दो सौ किलोमीटर लंबा है। इसके मध्य में वन हैं और नीचे की ओर उपवन हैं। यह ऊपर से बर्फ से ढका है। इसकी मिट्टी इतनी उपजाऊ है कि उत्तर प्रदेश और हिमालय प्रदेश के अधिकांश भाग वनों से ढके हैं। एवरेस्ट जो संसार का सबसे ऊँचा शिखर है, इसी पर्वत पर स्थित है। वास्तव में यह भारत की शोभा में चार चाँद लगता है। यह भारत का बेजोड़ प्रहरी है।
अनुच्छेद- 3 खेल-कूद
स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास संभव है और शरीर को स्वस्थ तथा हृष्ट-पुष्ट बनाने के लिए खेल अनिवार्य है। यदि ठीक से विचार करें तो पता चलेगा कि सब प्रकार के विकास के लिए शारीरिक शक्ति का विकास अनिवार्य है। मन एवं आत्मा का निवास स्थान शरीर ही है। शारीरिक स्वास्थ्य पर ही मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य निर्भर करता है। अच्छे स्वास्थ के लिए खेल-कूद अनिवार्य है। खेल और व्यायाम दोनों का हमारे जीवन के साथ घनिष्ठ संबंध है। यही नहीं, जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए खेलों के महत्त्व को नकारा नहीं जा सकता। खेलों से फुर्ती आती है। कार्यक्षमता में वृद्धि होती है। पाचन शक्ति बढ़ती है तथा शरीर के प्रत्येक अंग-प्रत्यंग यथोचित रूप से दृढ़ हो जाते हैं। जो लोग खेल की महत्ता को जानते हैं तथा नियमपूर्वक खेलते हैं, वे पुरुषार्थी होते हैं। खेल-कूद से मनुष्य में पूरी तन्मयता से कार्य करने की लगन जागृत होती है। चोट लगने पर खिलाड़ी बदला लेने की बजाय उस कष्ट को सहन करता है। खिलाड़ी जब खेल के मैदान में उतरता है तो उनके मन में जातीयता, प्रांतीयता, धर्म एवं उसके भाषा के नाम पर भेद-भाव नहीं होता।
अनुच्छेद- 4 वनों से लाभ
वन देश और समाज की संपत्ति हैं। वे प्रदूषण को रोकते हैं। वे वातावरण को स्वच्छ एवं सुखद बनाते हैं। इस प्रकार वन सुख-स्वास्थ्य के आधार हैं। गर्मी तथा बाढ़ को रोकने में वनों का बड़ा हाथ है। वर्षा भी वनों के कारण होती है। वन-वृक्षों पर पशु-पक्षी अपना जीवन निर्वाह करते हैं। वनों से ही हमें जड़ी-बूटियाँ प्राप्त होती हैं। वनों से जलाने की तथा फर्नीचर आदि की लकड़ी प्राप्त होती है। लकड़ी से दरवाजे, खिड़कियाँ, तथा अन्य अनेक वस्तुएँ बनती हैं। कोयला भी लकड़ी के जलने से प्राप्त होता है। करोड़ों-अरबों रुपयों का व्यापार होता है। लाखों लोगों को रोजगार मिलता है। फल, फूल तथा अन्य अनेक वनस्पतियाँ भी वनों से ही प्राप्त होती हैं। वन देश की संपत्ति होती हैं। देश तथा समाज की उन्नति में ये बड़ा योगदान निभाते हैं। इसलिए इनका संरक्षण एवं विकास बहुत आवश्यक है।
अनुच्छेद- 5 पुस्तकालय
पुस्तकालय ज्ञान का भंडार होता है। पाठ्य-पुस्तकों में विषय सीमित होते हैं। पुस्तकालय एक-एक विषय पर अनेक पुस्तकों का अथाह सागर कहलाता है। पुस्तकालय की सहायता से हमारे ज्ञान का क्षितिज विस्तृत होता है। विद्याथियों का सामान्य अथवा विशेष ज्ञान बढ़ाने के लिए प्रायः प्रत्येक विद्यालय में पुस्तकालय होता है, जहाँ प्रतिवर्ष नई पुस्तकें आती हैं। कुछ सार्वजनिक पुस्तकालय भी होते हैं, जो सभी सोसायटियों, संस्थानों या सरकार द्वारा चलाए जाते हैं। इनमें आम आदमी जितना चाहे लाभ उठा सकता है। पुस्तकालय से अधिक लाभ उठाकर हम अपने ज्ञान में निरंतर वृद्धि करते रहते हैं। जीवन में प्रगति के चरित्र के विषय के लिए सामाजिक और आर्थिक उन्नति के लिए भी पुस्तकालय बहुत सहायक सिद्ध हुए हैं।
अनुच्छेद – 6 कंप्यूटर
विज्ञान के नित्य नए-नए आविष्कारों ने दुनिया को बदलकर रख दिया है। विज्ञान के इन नवीन आविष्कारों में कंप्यूटर का नाम आज सबकी जबान पर है। विश्व के सभी देशों में कंप्यूटर का प्रचार-प्रसार बहुत तेजी से हुआ है। स्कूलों और कॉलेजों के पाठ्यक्रमों में कंप्यूटर को एक विषय के रूप में पढ़ाया जा रहा है। कंप्यूटर यांत्रिक मस्तिष्कों का एक रूपात्मक, मिश्रित तथा गुणात्मक योग है जो तीव्रतम गति से अत्यल्प समय में त्रुटिरहित गणना कर देते हैं। आजकल कंप्यूटर का प्रयोग चिकित्सा, विमान संचालन, बैंकों, अंतरिक्ष कार्यक्रम, युद्ध तकनीक जैसे अनगिनत क्षेत्रों में किया जाता है। दूरसंचार की दृष्टि से कंप्यूटर महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहा है। इस प्रकार मनुष्य के जीवन को सुविधापूर्ण बनाने के लिए कंप्यूटर में अनंत संभावनाएँ विद्यमान हैं।
अनुच्छेद – 7 दशहरा
यह पर्व वर्षा ऋतु की समाप्ति पर आश्विन सुदी दशमी को आता है। यह पर्व सबको अपने-अपने कर्तव्य के प्रति सजग करता है। ऐतिहासिक दृष्टि से ऐसा माना जाता है कि आज के दिन श्रीराम ने अत्याचारी रावण पर विजय प्राप्त की थी। श्रीराम की विजय को इस पर्व से संबंध मानकर चलने वाले लोग आश्विन मास के आरंभ होते ही रामलीला का आनंद लेने लगते हैं। दशहरे के दिन रामलीला से संबंधित झाँकियों की शोभा यात्रा निकलती है। लाखों दर्शक दशहरे के उत्सव को देखने के लिए मेलों में सम्मिलित होते हैं। वहाँ रावण, मेघनाद, कुम्भकर्ण आदि के पुतले जलाए जाते हैं। दशहरे को बंगाल में दुर्गा के विजय-पर्व के रूप में मनाते हैं। दक्षिण भारत में इस दिन सरस्वती का पूजन होता है। विजयादशमी भारत के प्रत्येक राज्य में किसी न किसी रूप में अवश्य मनायी जाती है।