Class 7 Hindi Grammar Chapter 19 समुच्चयबोधक अव्यय (Samuchchbodhak Avyay). In this section of Class 7 Hindi Vyakaran, we will learn about Samuchchbodhak or Yojak and its types. All the contents are modified and updated for session 2024-25 for UP Board, MP Board, CBSE and other state boards covering the latest curriculum for 2024-25. Students can get good marks and clear his doubts in Hindi Grammar going though these contents.
Class 7 Hindi Grammar Chapter 19 समुच्चयबोधक अव्यय
कक्षा 7 हिन्दी व्याकरण पाठ 19 समुच्चयबोधक अव्यय
कक्षा: 7 | हिन्दी व्याकरण |
अध्याय: 19 | समुच्चयबोधक अव्यय |
समुच्चयबोधक अव्यय (योजक)
समुच्चयबोधक अव्यय शब्दों, वाक्यांशों, वाक्यों अथवा उपवाक्यों को जोड़ने अथवा अलग करने वाले अव्यय समुच्चयबोधक अव्यय कहलाते हैं। जैसे:
- 1. उसे बात मत बताना, क्योंकि वह मेरा मित्र है।
- 2. राम और लक्ष्मण आ रहे हैं।
- 3. प्रातः काल घूमने जाया करो, ताकि स्वस्थ रहो।
- 4. तुम मेरा कहा मान लो, अन्यथा बाद में रोओगे।
- 5. उसने बहुत प्रयास किया, किंतु तुम्हारा काम नहीं हो सका।
उपर्युक्त रंगीन छपे शब्द एक से अधिक शब्दों या उपवाक्यों को जोड़ने का कार्य कर रहे हैं। प्रयोग की दृष्टि से समुच्चयबोधक के दो भेद हैं:
- 1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक
- 2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक
समानाधिकरण समुच्चयबोधक
जो समुच्चयबोधक अव्यय वाक्य के विभिन्न अंगों-शब्दों या वाक्यांशों को एक-दूसरे से मिलाते हैं या पूरे स्वतंत्र वाक्यों को एक-दूसरे से जोड़कर संयुक्त वाक्य बनाते हैं, उन्हें समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं। जैसे:
- 1. सीता, मीता और गीता पढ़ रही हैं।
- 2. कुछ छात्र पढ़ रहे थे, परंतु कुछ खेल रहे थे।
समानाधिकरण समुच्चयबोधक के भेद
समानाधिकरण समुच्चयबोधक के चार भेद हैं:
(क) संयोजक
जो समुच्चयबोधक दो शब्दों, वाक्यांशों या मुख्य वाक्यों में संयोजन कराते हैं। जैसे:
- 1. प्रसाद जी और निराला जी हिंदी के महाकवि थे।
- 2. गाँधीजी ने सत्य व अहिंसा का पाठ पढ़ाया।
(ख) विभाजक
जो समुच्चयबोधक एक ही श्रेणी के दो या अधिक वस्तुओं या प्राणियों आदि में से किसी एक के ग्रहण या त्याग का बोध कराते हुए दो उपवाक्यों को जोड़ते हैं, उन्हें विभाजक कहते हैं। जैसे:
- 1. यह फल मोहन लाया है, या सोहन।
- 2. तुम अपना इलाज कराओ, नहीं तो बीमारी बढ़ जाएगी।
- 3. न उसने मुझसे कुछ कहा, न मैंने उससे कुछ कहा।
(ग) विरोधबोधक
जो समुच्चयबोधक एक से अधिक शब्दों में से विरोधी होने के कारण एक का निषेध करते हैं, उन्हें विरोधबोधक कहते हैं। जैसे:
- 1. मैं आपके घर गया था, परंतु आप वहाँ नहीं मिले।
- 2. तुम यहाँ से चले जाओ, वरना झगड़ा हो जाएगा।
(घ) परिमाणबोधक
जो समुच्चयबोधक दो उपवाक्यों को जोड़ते हैं तथा दूसरे उपवाक्य के परिमाण का बोध कराते हैं, उन्हें परिमाणबोधक कहते हैं। जैसे:
- 1. सूर्योदय हो गया था, इसलिए जागना पड़ा।
- 2. आपने बुलाया था, इसलिए मैं यहाँ आया हूँ।
व्यधिकरण समुच्चयबोधक
जो समुच्चयबोधक शब्द एक प्रधान उपवाक्य में एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्यों को जोड़ते हैं, उन्हें व्यधिकरण कहते हैं। जैसे- यदि तुम पढ़ते तो अवश्य पास हो जाते।
व्यधिकरण समुच्चयबोधक को चार वर्गों में बाँटा गया है:
1. कारणबोधक
जो वाक्यों के उपवाक्यों में कारण-कार्य का बोध कराएँ, कारणबोधक कहलाते हैं। जैसे:
- (क) मैं स्कूल नहीं जा सका, क्योंकि मुझे बुखार था।
- (ख) चूँकि वह निर्धन था, इसलिए ठीक से इलाज नहीं करवा सका।
2. संकेतबोधक
शर्त या संकट प्रकट करने वाले समुच्चयबोधक संकेतबोधक कहलाते हैं। जैसे:
- (क) यदि तुम यहाँ आओ, कोई सामान मत लाना।
- (ख)यद्यपि उसने बहुत परिश्रम किया, तथापि प्रथम नहीं आ सका।
3. स्वरूपबोधक
जिन समुच्चयबोधक शब्दों के बाद आने वाले वाक्य या कथन पहले वाक्य या कथन का स्पष्टीकरण करते हैं, स्वरूपबोधक कहलाते हैं। जैसे:
- (क) आज दो अक्तूबर, अर्थात् गाँधीजी का जन्म-दिवस है,
- (ख) मैं मना कर दूं, यानी उसके घर न जाऊँ।
4. उद्देश्यबोधक
इन समुच्चयबोधक शब्दों के बाद आने वाले वाक्य अपने से पहले वाक्य का उद्देश्य प्रकट करते हैं, वे उद्देश्यबोधक कहलाते हैं। जैसे:
(क) उसने दरवाजा बंद कर दिया, ताकि कोई अंदर न जा सके।
(ख) उसे ऐसा समझा दो, जो फिर इधर न आए।