Class 7 Hindi Grammar Chapter 1 भाषा और व्याकरण (Bhasha aur Vyakaran). Know here about all terms of Hindi Bhasha aur Hindi Vyakaran revised and updated for session 2024-25. Examples and explanation about Bhasha, Bhasha ke prakar, Lipi, Boli, Vyakaran aur Vyakaran ke prakar are given for practice भाषा और व्याकरण. Contents are in simplified format just for a student of grade 7. All state board and CBSE students can take the benefits of these contents of Hindi Vyakaran.
Class 7 Hindi Grammar Chapter 1 भाषा और व्याकरण
कक्षा 7 हिन्दी व्याकरण पाठ 1 भाषा और व्याकरण
कक्षा: 7 | हिन्दी व्याकरण |
अध्याय: 1 | भाषा और व्याकरण |
भाषा और व्याकरण
मानव सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है, क्योंकि केवल उसी के पास एक अनोखी शक्ति है, ईश्वर का वरदान है और वह है- वाणी, जो भाषा के रूप में मुखरित होती है। इसी के द्वारा वह अतीत का अवलोकन करता है वर्तमान में जीता है और भविष्य की कल्पना करता है। अन्य प्राण्यिों के पास यह शक्ति नहीं है, यही उसे पशुओं से भिन्न करती है, समाज का विकास करती है। यह एक माध्यम है, जिसके द्वारा हम अपने मनोभावों को दूसरों पर प्रकट करते हैं और दूसरों के मनोभावों को ग्रहण करते हैं।
भाषा
भाषा मानव-मुख से उच्चारित ध्वनि प्रतीकों की ऐसी व्यवस्था है, जिसमें शब्दों के अर्थ रूढ़ होते हैं। यह एक साधन है, जिसके द्वारा मानव अपने भावों-विचारों का आदान-प्रदान करता है।
भाषा शब्द की उत्पत्ति भाष् धातु से हुई है, जिसका अर्थ है वाणी। संकेतों के द्वारा भी वाणी का यह कार्य अल्पमात्रा में हो सकता है, पर उसमें पूर्णता एवं स्पष्टता नहीं होती। कहा जाता है- यन्मनसा ध्यायति तद्वाचा वदति।
भाषा के लक्षण
- 1. यह मानव-मुख से उच्चारित होती है।
- 2. इसमें सार्थक ध्वनियाँ प्रयुक्त होती हैं।
- 3. प्रत्येक भाषा में ध्वनि प्रतीक होते हैं।
- 4. प्रत्येक भाषा की वाक्य-संरचना की अपनी व्यवस्था होती है। शब्द व्यवस्थित रूप से जुड़कर वाक्य बनाते हैं।
- 5. इसमें शब्दों के अर्थ रूढ़ होते हैं, वे बदलते नहीं हैं। हम हाथी को घोड़ा और घोड़े को हाथी या मोर नहीं कह सकते।
- 6. यह दूसरों तक अपनी बात पहुँचाने का कार्य करती है।
भाषा के प्रकार
भाषा के दो रूप हैं। वाणी द्वारा बोलकर विचार प्रकट करने का साधन मौखिक या कथित भाषा तथा लेखनी द्वारा लिखकर विचार प्रकट करने का साधन लिखित भाषा कहलाता है। कथित भाषा का प्रयोग बातचीत करने में होता है, जबकि लिखित भाषा का प्रयोग साहित्य-निर्माण व सरकारी काम-काज के लिए होता है। मौखिक या कथित भाषा परिवर्तनशील है। उसे मानकता और स्थायी रूप लिखित भाषा प्रदान करती है। लिपि भाषा के लिखित रूप का आधार उस भाषा की लिपि होती है। लिपि शब्द का अर्थ “लीपना”, “लिखना” या “चित्रित करना” है।
लिपि
भाषा के लिखित रूप के लिए जिन ध्वनि-चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें लिपि कहते हैं। प्रत्येक भाषा की अपनी-अपनी लिपियाँ होती हैं। हिंदी की लिपि देवनागरी है, अंग्रेजी की रोमन, पंजाबी की गुरमुखी तथा उर्दू की अरबी-फारसी मिश्रित। देवनागरी लिपि का विकास ब्राह्का लिपि से हुआ है। यूरोप की प्रायः सभी भाषाएँ थोड़े बहुत परिवर्तन के साथ रोमन लिपि में ही लिखी जाती हैं। देवनागरी, रोमन व गुरमुखी लिपियाँ बाईं ओर से दाईं ओर लिखी जाती हैं। जबकि अरबी, फारसी तथा उर्दू की लिपि दाई से बाईं ओर लिखी जाती हैं।
बोली
बोली केवल बोलने के काम आती है, इसका साहित्य नहीं होता। उपभाषा बोली का जब विकास हो जाता है, तब उसका क्षेत्र थोड़ा बढ़ जाता है। उसमें साहित्य-निर्माण होने लगता है, तब वह उपभाषा बन जाती है। बोली केवल बोलचाल में प्रयोग की जाती है, इसका लिखित रूप में प्रयोग नहीं होता, जबकि उपभाषा बोली का लिखित रूप है।
व्याकरण
व्याकरण शब्द तीन शब्दों से मिलकर बना है: वि+आ+करण जिसका अर्थ होता है: भली-भाँति समझाना। कामता प्रसाद गुप्त के अनुसार, जिस शास्त्र में शब्दों के शुद्ध रूप और प्रयोग के नियमों का निरूपण किया जाता है, उसे व्याकरण कहते हैं। इस प्रकार व्याकरण से भाषा को शुद्ध लिखना, पढ़ना और बोलना आता है।
व्याकरण के विभाग
व्याकरण तथा भाषा में घनिष्ठ संबंध है। भाषा का प्रधान अंग अथवा पहली इकाई ‘वाक्य’ है। वाक्य शब्दों से बनता है। वाक्य में प्रयुक्त शब्द पद कहलाते हैं। शब्द या पद वर्णो से बनते हैं। ध्वनि-चिह्नों के लिखित रूप ही वर्ण कहलाते हैं। ये सभी व्याकरणिक इकाइयाँ हैं। इनकी प्रकृति, रचना एवं प्रयोग का ज्ञान व्याकरण करवाता है। इस आधार पर व्याकरण के चार विभाग माने गए हैं:
- 1. वर्ण विभाग या विचार-इसके अंतर्गत वर्ण, उसके भेद, आकार, उच्चारण, संयोग, संयोजन आदि का उल्लेख किया जाता है।
- 2. शब्द विभाग या विचार-भाषा में प्रयुक्त शब्दों के स्रोत, व्युत्पत्ति, भेद, रचना आदि पर विचार किया जाता है।
- 3. पद विभाग या विचार-शब्द जब वाक्य में प्रयुक्त हो जाता है तो उसे पद कहते हैं। इसमें पद, उसके भेद, उसके विकारी-अविकारी रूप, पदबंध आदि पर विचार किया जाता है।
- 4. वाक्य विभाग या विचार-इसमें वाक्य-संरचना, वाक्य-भेद, उप-वाक्य, वाक्य-विश्लेषण, संश्लेषण, विराम-चिह्न आदि पर विचार किया जाता है।
हिंदी भाषा भारत की राष्ट्रभाषा है। यह संस्कृत भाषा की उत्तराधिकारिणी है। भारत में हिंदी भाषा-भाषी जनता की संख्या सबसे अधिक है। इसकी मुख्य विशेषता यह है कि इसके बोलने वालों से इसके समझने वालों की संख्या और अधिक है। जो लोग इसे बोल नहीं सकते, वे भी प्रायः इसे समझ लेते हैं। हिंदी भाषा अन्य भारतीय भाषाओं की तुलना में सरल है। इसकी लिपि वैज्ञानिक है। हिंदी जैसे बोली जाती है, वैसे ही लिखी जाती है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, आदि में बोली जाती है।
छत्तीसगढ़, झारखंड तथा अंडमान-निकोबार द्वीप-समूह में हिंदी मातृभाषा के रूप में प्रयोग की जाती है। 14 सितंबर, 1949 को हिंदी को भारत सरकार की राजभाषा स्वीकार किया गया था। हिंदी भारत-यूरोपीय परिवार में आती है। हिंदी की उपभाषाओं को पाँच वर्गों में बाँटा गया है:
- 1. पश्चिमी हिंदी- ब्रजभाषा, खड़ी बोली, हरियाणवी, बुंदेली और कन्नौजी बोलियाँ इसके अंतर्गत आती हैं।
- 2. पूर्वी हिंदी- अवधी, बहोली और छत्तीसगढ़ी पूर्वी हिंदी वर्ग की उपभाषाएँ हैं।
- 3. राजस्थानी- मारवाड़ी, जयपुरी, मेवाती, बागड़ी और मालवी राजस्थानी वर्ग की उपभाषाएँ हैं।
- 4. पहाड़ी वर्ग- गढ़वाली और कुमाऊँनी उपभाषाएँ इस वर्ग में आती हैं।
- 5. बिहारी- मैथिली, मगही, अंगिका और भोजपुरी इस वर्ग की मुख्य उपभाषाएँ हैं।
आधुनिक काल में हिंदी की खड़ी बोली का सर्वाधिक प्रचार हुआ है। यह मेरठ, सहारनपुर, बिजनौर तथा दिल्ली के आस-पास के क्षेत्रों में बोली जाती है।