Class 6 Hindi Grammar Chapter 8 कारक (Karak). Here, we will learn about कारक and कारक के भेद with examples and explanation for the exams preparation academic session 2024-25. The complete definition of कारक and it’s all kinds are given here with suitable examples. Students can understand all the terms related to कारक and it’s use. Score more and clear your doubts by studying here class 6 Hindi Vyakaran chapter 8 Karak.
कक्षा 6 के लिए हिन्दी व्याकरण पाठ 8 कारक
कक्षा: 6 | हिन्दी व्याकरण |
अध्याय: 8 | कारक तथा इसके भेद |
Class 6 Hindi Grammar Chapter 8 कारक
कारक से आप क्या समझते हैं?
कारक
जो शब्द वाक्य में क्रिया का संज्ञा और सर्वनाम शब्दों के साथ संबंध बनाए, उसे कारक कहते हैं। संज्ञा का तीसरा विकारक तत्व है-कारक। कारक का अर्थ होता है क्रिया को करने वाला। इसका सीधा संबंध क्रिया से होता है। निम्नलिखित वाक्यों को ध्यान से पढ़िए:
- श्री राम, सीता और लक्ष्मण ने अयोध्या को छोड़ा।
- वे राजसी वस्त्रों को त्यागकर वन में गए।
- श्री राम ने रावण को बाण से मारा।
- श्री राम ने सीता को प्राप्त करने के लिए रावण को मारा।
- श्री राम के तरकश से बाण निकला।
- लक्ष्मण श्री राम जी के भाई थे।।
- युद्ध में रावण का अंत हुआ।
- हे छात्रो! धर्म की सदा विजय होती है।
उपर्युक्त वाक्यों में “ने”, “को”, “से”, “के लिए”, “से”, “के”, “का” तथा “हे” जैसे कुछ विशेष चिह्नों का प्रयोग हुआ है। यदि इन विशेष चिह्नों को हम वाक्यों से हटा दें तो हमें इनका अर्थ ठीक से समझ में नहीं आएगा और वाक्य अधूरे लगेंगे। वाक्यों का अर्थ भली प्रकार से जानने के लिए आवश्यकता है कि इन विशेष चिह्नों का प्रयोग किया जाए। ये सभी चिह्न कारकों के हैं। इन्हें कारकों की विभक्तियाँ या परसर्ग कहते हैं। कारकों का रूप प्रकट करने के लिए उनके साथ जो शब्द चिह्न लगते हैं, उन्हें विभक्ति या कारकों के चिह्न कहते हैं।
कारक के भेद
कारक के आठ भेद होते हैं। विभक्ति चिह्नों सहित उनके नाम निम्नलिखित हैंपरसर्ग या कारक चिह्न हैं:
- कर्ता कारक
- कर्म कारक
- करण कारक
- संप्रदान कारक
- अपादान कारक
- संबंध कारक
- अधिकरण कारक
- संबोधन कारक
कर्ता कारक
जिससे क्रिया करने वाले का बोध होता है, उसे कर्ता कारक कहते हैं।
पहचान: क्रिया से पहले ‘कौन’ या ‘किसने’ लगाकर देखने से जो उत्तर आए, वही कर्ता कारक है।
उदाहरण:
1. राहित ने खाना खाया। (किसने खाना खाया?) “रोहित”- “रोहित” कर्ता कारक है।
2. अमन पुस्तक पढ़ रहा है। (कौन पढ़ रहा है?) “अमन”- अमन कर्ता कारक है।
कर्म कारक
(विभक्ति चिह्न- “को”)- वाक्य के जिस शब्द पर क्रिया के व्यापार का फल पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते हैं।
पहचान: क्रिया से पहले “क्या” या “किसको” लगाकर देखने से जो उत्तर आए, वही कर्म कारक कहलाता है।
उदाहरण:
1. प्रिती ने खाना खाया। (क्या खाया? ) “खाना”- “खाना” कर्म कारक है।
2. सूरज ने नीता को पढ़ाया। (किसको पढ़ाया?) “नीता को”- “विमला को” कर्म कारक है।
करण कारक
(विभक्ति चिह्न- “से” या “के द्वारा”)- कर्ता जिसकी सहायता से क्रिया करता है, उसे करण कारक कहते हैं।
पहचान: क्रिया से पहले “किससे”, “किसके द्वारा” या “किनसे” लगाकर देखने से जो उत्तर आए वही करण कारक होता है।
उदाहरण:
उसने कलम से पत्र लिखा। (किससे लिखा?), “कलम से”- “कलम से” करण कारक है।
संप्रदान कारक
(विभक्ति चिह्न- “को”, के लिए)- जिसे कुछ दिया जाए या जिसके लिए क्रिया की जाए, उसे संप्रदान कारक कहते हैं।
पहचान: क्रिया से पहले “किसको” या “किसके लिए” लगाकर देखने से जो उत्तर मिले वही संप्रदान कारक है।
उदाहरण:
1. अमित ने भिखारी को वस्त्र दिए। (किसको दिए, “भिखारी को”- “भिखारी को”? संप्रदान कारक है।)
2. मैं गुरुजी के लिए फल लाया। (किसके लिए लाया? “गुरुजी के लिए” संप्रदान कारक है।)
अपादान कारक
(विभक्ति चिह्न से)- जिससे कोई वस्तु अलग होती है, उसे अपादान कारक कहते हैं।
पहचान: क्रिया के साथ “किससे” या “कहाँ से”, लगाकर देखने से जो उत्तर मिलता है, वह अपादान कारक होता है।
उदाहरण:
वृक्ष से पत्ते गिरते हैं। (किससे गिरते हैं? “वृक्ष से”- “वृक्ष से” अपादान कारक है) ।
संबंध कारक
(विभक्ति चिह्न)- “का”, “की”, “के”, “रा” “री” “रे” जिससे एक शब्द का दूसरे शब्द से संबंध ज्ञात हो, उसे संबंध कारक कहते हैं।
पहचान: वाक्य में आए दो संज्ञाओं या सर्वनामों के साथ “किसका”, “किसकी” या “किसके” लगाकर देखने से जो उत्तर मिलता है, उसे संबंध कारक कहते हैं।
उदाहरण:
1. मुकेश का भाई प्रथम आया है। (किसका भाई? “मुकेश का”-“मुकेश का” संबंध कारक है।)
2. रीना की माताजी बीमार है। (किसकी माताजी? “रीना की”- “सुधा की” संबंध कारक है।)
अधिकरण कारक
(विभक्ति चिह्न “में”, “पर”)- संज्ञा के जिस रूप से क्रिया के आधार पर ज्ञान होता है, उसे अधिकरण कारक कहते हैं।
पहचान: क्रिया के साथ “कहाँ” या “किसमें” लगाकर देखने से जो उत्तर मिलता है उसे अधिकरण कारक कहते हैं।
उदाहरण:
1. कौआ वृक्ष पर बैठा है? (कहाँ बैठा है? “वृक्ष पर” ‘वृक्ष पर’ अधिकरण कारक है।)
2. तोता पिंजरे में रहता है। (किसमें रहता है? “पिंजरे में” अधिकरण कारक है।)
संबोधन कारक
जिन शब्दों का प्रयोग किसी को पुकारने, सचेत करने आदि के लिए किया जाता है, उसे संबोधन कारक कहते हैं।
पहचान: संबोधन कारक का प्रयोग वाक्य के प्रारंभ में होता है तथा इसके बाद प्रायः (!) संबोधन चिह्न भी लगाया जाता है।
उदाहरण:
1. अरे पियूष! तुम कब आए? (“अरे पियूष!”-संबोधन कारक है)
2. हे बच्चो! मन लगाकर पढ़ो। (“हे बच्चो!” संबोधन कारक है।)
संज्ञा शब्दों की रूप-रचना
अकारांत पुल्लिग शब्द- “मनुष्य”
कारक | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|
कर्ता | मनुष्य ने | मनुष्यों ने |
कर्म | मनुष्य को | मनुष्यों को |
करण | मनुष्य से, मनुष्य के द्वारा | मनुष्यों से, मनुष्यों के द्वारा |
संप्रदान | मनुष्य को, मनुष्य के लिए | मनुष्यों को, मनुष्यों के लिए |
अपादान | मनुष्य से (पृथक्) | मनुष्यों से (पृथक्) |
संबंध | मनुष्य का, मनुष्य के, मनुष्य की | मनुष्यों का, मनुष्यों के, मनुष्यों की |
अधिकरण | मनुष्य में, मनुष्य पर | मनुष्यों में, मनुष्यों पर |
संबोधन | हे मनुष्य! | हे मनुष्यों! |