Class 6 Hindi Grammar Chapter 4 शब्द-विचार. Examples about शब्द-विचार and its kinds. Definition and explanation of each kinds of Morphology. We will discuss here शब्द-विचार and its भेद with examples and suitable explanation. All the contents are according to latest CBSE Curriculum 2024-25 based on latest NCERT Books issued for current academic session 2024-25.
कक्षा 6 व्याकरण पाठ 4 शब्द-विचार
कक्षा: 6 | हिन्दी व्याकरण |
अध्याय: 4 | शब्द-विचार |
Class 6 Hindi Grammar Chapter 4 शब्द विचार
शब्द-विचार क्या है?
आप पिछले पाठ में पढ़ चुके हैं कि वर्णों के मेल से शब्द बनते हैं। अब हम चार वर्ण लेते हैं- प ज स य । इन चार वर्णों को जोड़ने से शब्द बनता है – “पजसय”, परंतु “सकमच” शब्द का कोई अर्थ नहीं है। इसी प्रकार 1. गाय खेत में है। 2. प्रिया हाथ से लिखती है। ये दो वाक्य हैं। पहले वाक्य में, तीन शब्द और एक परसर्ग है- 1. गाय, 2. खेत, 3. है, शब्द हैं और “में” परसर्ग है। दूसरे वाक्य में चार शब्द और एक परसर्ग है, 1. प्रिया, 2. हाथ, 3. लिखती, 4. है शब्द हैं तथा “से” परसर्ग है। इन वाक्यों को समझने से स्पष्ट हुआ कि शब्द एक या एक से अधिक वर्णों का समूह है। अतः शब्द की परिभाषा हम इस प्रकार कर सकते हैं।
निश्चित अर्थ को प्रकट करने वाले वर्ण समूह को शब्द कहते हैं।
विचारों को व्यक्त करने में ये शब्द सहायक होते हैं। “शब्द” भाषा की स्वतंत्र इकाई होते हैं; जैसे- घोड़ा, किताब, अंक आदि। “शब्द” भाषा की ऐसी इकाई हैं, जिनका कुछ अर्थ होता है। जैसे “गंगा” शब्द सुनते ही हम एक नदी की कल्पना करने लगते हैं।
शब्द-भेद- हिंदी के शब्द रूप-समूह को निम्नलिखित आधार पर विभक्त कर सकते हैं:
- उत्पत्ति के आधार पर
- रचना के आधार पर
- प्रयोग के आधार पर
- अर्थ के आधार पर
उत्पत्ति के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण: उत्पत्ति के आधार पर शब्दों को निम्नलिखित चार भागों में बाँटा गया है:
1. तत्सम,
2. तद्भव,
3. देशज,
3. विदेशज
- तत्सम शब्द– संस्कृत भाषा हिंदी की जननी है। “तत्सम” शब्द का अर्थ है- “उस के समान” अर्थात् संस्कृत के समान। हिंदी में अनेक शब्द संस्कृत से आए हैं और आज भी उसी रूप में प्रयोग किए जा रहे हैं। तत्सम शब्दों की श्रेणी में इसी प्रकार के शब्द आते हैं। अतः जो संस्कृत शब्द मूल रूप से हिंदी में प्रयुक्त होते हैं, वे तत्सम शब्द कहलाते हैं। जैसे- माता, पिता, प्रकाश, सर्प, दंत, दर्पण,
- तद्भव शब्द– संस्कृत भाषा के वे शब्द जो थोड़े से रूप परिवर्तन के साथ हिंदी में प्रयुक्त होते हैं, उन्हें तद्भव शब्द कहते हैं। जैसे- दूध (दुग्ध), घर (गृह), दाँत (दंत), गाय (गौ), पाँच (पंच), हाथ (हस्त), आम (आम्र) आदि।
- देशज शब्द– जो शब्द क्षेत्रीय प्रभाव के कारण हिंदी में ही आवश्यकतानुसार पैदा हो गए हैं, वे देशज कहलाते हैं। जैसे- पैसा, झटपट, जूता, डिबिया, पेट, लोहा, थैला, पगड़ी, झाड़, गड़बड़ आदि।
- विदेशी या आगत शब्द– हिंदी में अनेक विदेशी भाषाओं के शब्द प्रयुक्त होने लगे हैं, इन्हें विदेशी भाषाओं के शब्द कहते हैं। जैसे- टेलीविजन, कॉलेज, स्कूल, इंजन, लालटेन, स्टेशन, रेडियो आदि।
कुछ विदेशी भाषाओं के शब्द नीचे दिए जा रहे हैंफारसी भाषा के शब्द – अनार, दुकान, नमक, जमींदार, बीमार, रूमाल, बर्फ, दफतर, उस्ताद, जलेबी, जुलाहा, आदि।
रचना के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण-
1. रूढ़ शब्द,
2. यौगिक शब्द,
3. योगरूढ़ शब्द,
रूढ़ शब्द– जिन शब्दों के सार्थक खंड न हो सकें और जो अन्य शब्दों के मेल से न बने हों उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं। जैसे चावल शब्द का यदि हम खंड करेंगे तो चा+वल या चाव+ल तो ये निरर्थक खंड होंगे। अतः चावल शब्द रूढ़ शब्द है। अन्य उदाहरण-आदमी, मिठाई, दीवार, दिन, घर, मुँह, घोड़ा आदि।
यौगिक शब्द– “यौगिक” का अर्थ है-मेल से बना हुआ। जो शब्द दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बनता है, उसे यौगिक शब्द कहते हैं, जैसे- विद्यालय (विद्या+आलय), राजपुरुष (राज+पुरुष), सामाजिक (समाज+इक) ये सभी शब्द दो शब्दों के मेल से बने हैं।
प्रयोग के आधार पर शब्द के दो भेद हैं
(क) विकारी शब्द
(ख) अविकारी शब्द
विकारी शब्द:- जो शब्द भाषा में प्रयोग किए जाने पर लिंग, वचन और कारक के कारण अपना रूप बदल लेते हैं, उन्हें विकारी शब्द कहते हैं; जैसे- लड़का दौड़ रहा है। (वचन परिवर्तन) लड़के दौड़ रहे हैं। लड़का खेल रहा है, (वचन परिवर्तन) लड़के खेल रहे हैं। लड़के के लिए आम लाओ, (कारक परिवर्तन) लड़कों के लिए आम लाओ, लड़के के लिए दूध लाओ, (कारक परिवर्तन) लड़कों के लिए दूध लाओ,लड़का पढ़ रहा है। (लिंग परिवर्तन), लड़की पढ़ रही है।
विकारी शब्द के चार भेद होते हैं:-
1. संज्ञा
2. सर्वनाम
3. विशेषण
4. क्रिया
अविकारी शब्द:- जिन शब्दों में वाक्य के प्रयोग करने पर लिंग, वचन, कारक के कारण कोई परिवर्तन नहीं आता अर्थात् जो शब्द हमेशा एक-से रहते हैं, वे अविकारी शब्द कहलाते हैं; जैसे-
1. भीतर आकर बैठिए।
2. उसका साथ छोड़ दीजिए।
3. कविता और सविता पढ़ रही हैं।
4. वाह! तुम्हें भी सद्बुद्धि आई।
यहाँ पहले वाक्य में प्रयुक्त “भीतर”, दूसरे वाक्य में “साथ”, तीसरे वाक्य में “और” तथा चौथे वाक्य में “वाह”! ऐसे शब्द हैं जिनका रूप वाक्य में प्रयोग करते समय परिवर्तित नहीं होता। अतः ये शब्द अविकारी शब्द कहलाते हैं।
अविकारी शब्दों के भी चार भेद होते हैं:
1. क्रियाविशेषण,
2. संबंधबोधक,
3. समुच्चयबोधक,
4. विस्मयादिबोधक
अर्थ के आधार पर शब्द के भेद अर्थ के आधार पर शब्द के पाँच भेद होते हैं:
(क) एकार्थी,
(ख) अनेकार्थी,
(ग) पर्यायवाची,
(घ) विलोम,
(ङ) समरूपी भिन्नार्थक
शब्द किसे कहते हैं?
निश्चित अर्थ को प्रकट करने वाले वर्ण समूह को शब्द कहते हैं।
उत्पत्ति के आधार पर शब्द के कितने भेद होते हैं?
उत्पत्ति के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण:
उत्पत्ति के आधार पर शब्दों को निम्नलिखित चार भागों में बाँटा गया है:
- तत्सम,
- तद्भव,
- देशज,
- विदेशज
अविकारी शब्दों के कितने भेद होते हैं?
अविकारी शब्दों के चार भेद होते हैं:
1. क्रियाविशेषण,
2. संबंधबोधक,
3. समुच्चयबोधक,
4. विस्मयादिबोधक
प्रयोग के आधार पर शब्द के कितने भेद होते हैं?
प्रयोग के आधार पर शब्द के दो भेद हैं
(क) विकारी शब्द
(ख) अविकारी शब्द