Class 6 Hindi Grammar Chapter 2 वर्ण-विचार. Practice with all types of वर्ण-विचार and its examples. All the contents related to this chapter वर्ण-विचार are given below in text format as well as in PDF file format. We have updated all the Hindi Grammar contents for current Academic Session 2024-25 based on latest CBSE Curriculum.
कक्षा 6 हिन्दी व्याकरण पाठ 2 वर्ण-विचार
कक्षा: 6 | हिन्दी व्याकरण |
अध्याय: 2 | वर्ण-विचार |
कक्षा 6 के लिए व्याकरण पाठ 1 वर्ण विचार
वर्ण विचार क्या है?
आपने पिछले पाठ में भाषा के बारे मे जाना। भाषा वाक्यों के मेल से और वाक्य शब्दों के मेल से और शब्द वर्णो के मेल से बनते हैं। वर्ण क्या है? नीचे दिए गए वाक्यों को ध्यान से पढ़िए।
काया पुस्तक पढ़ती है- इस वाक्य को बोलकर पढ़िए। इसे बोलने के लिए कुछ ध्वनियों तथा लिखने के लिए लिपि का सहारा लेना पड़ता है। इस वाक्य के खंड किए जा सकते हैं। इसमें चार शब्द प्रयुक्त हैं- “काया” “पुस्तक” “पढ़ती” तथा “है”। यहाँ इन ध्वनियों को अलग-अलग करके दिखाया गया है।
काया- क् + आ + य् + आ पुस्तक- प् + उ + स + त् + अ + क् + अ पढ़ती – प् + अ + ढ़ + अ + त् + ई है- ह् + ऐ प्रत्येक शब्द के ध्वनि के अनुसार टुकड़े किए गए हैं। इन ध्वनियों तथा वर्णों के और टुकड़े नहीं किए जा सकते। अतः भाषा की सबसे छोटी मौखिक इकाई “ध्वनि” तथा इसके लिखित रूप को ‘वर्ण’ कहते हैं; जैसे- क् न् ज् ल् स् आदि। दूसरे शब्दों में “मौखिक ध्वनियों” को व्यक्त करने वाले चिह्न “वर्ण” कहलाते हैं।
वर्णमाला
किसी भाषा को सीखने के लिए सबसे पहले वर्णों यानी ध्वनियों को सीखा जाता है। वर्गों के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते हैं।
जैसे- अ से लेकर ह तक।
हिंदी वर्णमाला में 48 वर्ण हैं। हिंदी वर्णमाला को उच्चारण की दृष्टि से दो भागों में बाँटा गया है: स्वर एवं व्यंजन।
व्यंजन
जिन वर्णों का उच्चारण करते समय मुख से निकलने वाली वायु में रुकावट पड़ती है उन्हें व्यंजन कहते हैं। व्यंजनों के स्पष्ट उच्चारण में स्वरों की सहायता लेनी पड़ती है। वर्णमाला में इनकी संख्या तैंतीस है।
क् ख् ग् घ् ङ् च् छ् ज् झ् ञ् ट् ठ् ड् ढ् ण त् थ् द् ध् न् प् फ् ब् भ् म् य् र् ल् व् ऊष्ण व्यंजन – श् ष् स् ह्
संयुक्त व्यंजन – क्ष् व् ज् थ्र अन्य – अं (अनुस्वार), अः (विसर्ग)
= 2 आगत वर्ण – ज़ फ़ ऑ ड़ ढ़
= 2 अँ (अनुनासिक)
योग = 48 वर्ण-भेद- उच्चारण और प्रयोग के आधार पर हिंदी वर्णमाला के वर्गों को दो वर्गों में बाँटा गया है।
स्पर्श व्यंजन
जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय जीभ मुँह के विभिन्न स्थानों का स्पर्श करती है, उन्हें स्पर्श व्यंजन कहा जाता है। ये संख्या में 25 हैं। इन्हें पाँच वर्गों में बाँटा जाता है। प्रत्येक वर्ग का नाम उसके पहले वर्ण के अनुसार रखा गया है।
क वर्ग च वर्ग ट वर्ग त वर्ग प वर्ग
अंत:स्थ व्यंजन
जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय जीभ मुँह के किसी भाग का पूरी तरह स्पर्श नहीं करती, उन्हें अंत:स्थ व्यंजन कहते हैं। ये संख्या में चार हैं- य र ल व। ऊष्म व्यंजन इनका उच्चारण करते समय हवा के तेज गति से मुँह से रगड़ खाने के कारण ऊष्मा (गरमी) सी पैदा होती है, इसलिए इन्हें ऊष्म व्यंजन कहते हैं। ये भी संख्या में चार हैं: श ष स ह। श्वास वायु के आधार पर व्यंजन भेदश्वास-वायु के आधार पर व्यंजनों के दो भेद माने गए हैं: अल्पप्राण- जिन वर्णों के उच्चारण में श्वास वायु कम मात्रा में बाहर निकलती है, उन्हें अल्प प्राण कहते हैं।
संयुक्त व्यंजन
दो व्यंजनों के मेल से बने संयुक्त वर्ण ही “संयुक्त व्यंजन” कहलाते हैं। इनकी संख्या चार है- क्ष, त्र, ज्ञ, प्र। ये एक से अधिक व्यंजनों के योग से बने हैं, जैसे- क् + ष = क्ष = अक्षर, शिक्षा। त् + र = त्र = नक्षत्र, त्रिशूल। ज् + अ = ज्ञ = ज्ञान, विज्ञान श् + र = श्र = श्रवण, श्रीमान
द्वित्व व्यंजन
स्वर-रहित व्यंजन और स्वर-युक्त व्यंजन एकसाथ संयुक्त रूप से उच्चरित हों तो वे द्वित्व व्यंजन कहलाते हैं।
च् + च = च्च = बच्चा, कच्चा। क् + क = क्क = पक्का, मक्का। ट् + ट = ट्ट = लट्ट, मिट्टी, प् + प = प्प = चप्पल, थप्पड़।
अनुस्वार से आप क्या समझते हैं?
जिस स्वर के उच्चारण से हवा केवल नाक से निकलती है और उच्चारण अधिक जोर से होता है, उसके ऊपर केवल बिंदु (‘) लगाया जाता है। ऐसे स्वर अनुस्वार कहे जाते हैं। जैसे- संसार, अंडा, गंदा, चंचल आदि।
वर्ण किसे कहते हैं?
वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है, इसके और टुकड़े नहीं किए जा सकते।
जैसे- अ, इ, उ, ज, म्, प् आदि।
स्वर से क्या तात्पर्य है?
जिन वर्णों का उच्चारण बिना किसी अवरोध के तथा बिना किसी दूसरे वर्ण की सहायता के होता है। उन्हें स्वर कहते हैं। ये स्वतंत्र ध्वनियाँ है। स्वर संख्या में ग्यारह हैं।
अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ
अनुनासिक स्वर क्या हैं?
जब स्वर केवल मुख से बोले जाते हैं तो उनका रूप वही होता है जो ऊपर दिया गया है, परंतु जब स्वर नाक से बोले जाते हैं तो उनके ऊपर चंद्र बिंदु लगाया जाता है। नाक से बोले जाने के कारण इन स्वरों को अनुनासिक कहा जाता है।
जैसे- चाँद, माँग, आँख, हँस आदि।
हलंत, अयोगवाह, विसर्ग
- हलंत
जब व्यंजन का प्रयोग स्वर से रहित किया जाता है तब उसके नीचे तिरछी रेखा लगा दी जाती है। यह रेखा हलंत कहलाती है, जैसे- परम्, जगत्, स्वयम् आदि। - अयोगवाह
ग्यारह स्वरों और तैंतीस व्यंजनों के अतिरिक्त हिंदी वर्णमाला में दो वर्ण और भी हैं। ये हैं- अं (अनुस्वार) और अः (विसर्ग)। ये दोनों स्वरों के बाद लिखे जाते हैं। इन्हें अयोगवाह कहते हैं। ये स्वर भी नहीं हैं और व्यंजन भी नहीं। - विसर्ग
इस ध्वनि का उच्चारण “ह” के समान होता है। इसका चिह्न (:) है। हिंदी में प्रचलित केवल संस्कृत शब्दों के साथ ही इस ध्वनि का प्रयोग होता है। जैसे- अतः, प्रातः आदि।