Class 6 Hindi Grammar Chapter 17 अविकारी शब्द (Avikari Shabd). Here we will learn about अविकारी शब्द and the kinds of Avikari Shabd. All the contents are updated for session 2024-25. All the terms related to अविकारी शब्द are given here, so that students can prepare for exams.
कक्षा 6 हिन्दी व्याकरण पाठ 17 अविकारी शब्द
कक्षा: 6 | हिन्दी व्याकरण |
अध्याय: 17 | अविकारी शब्द |
Class 6 Hindi Grammar Chapter 17 अविकारी शब्द
अविकारी शब्द से अप्प क्या समझते हैं?
जिन शब्दों में लिंग, वचन, कारक, काल, वाच्य आदि के कारण कोई विकार नहीं होता, उन्हें अविकारी अथवा अव्यय कहते हैं।
अव्यय के भेद- अव्यय के निम्नलिखित भेद हैं:
- क्रिया विशेषण
- संबंधबोधक
- समुच्चयबोधक
- विस्मयादिबोधक
क्रिया विशेषण
जो शब्द क्रिया की विशेषता प्रगट करें, उन्हें क्रिया विशेषण कहते हैं। जैसे-
क. रोहित इधर आ रहा है।
ख. विकास अधिक बोलता है।
ग. घोड़ा तेज भागता है।
घ. कछुआ धीरे-धीरे चलता है।
उपर्युक्त वाक्यों में “इधर”, “अधिक”, “तेज” व “धीरे-धीरे” शब्द क्रिया की विशेषता बता रहे हैं। इसलिए ये शब्द क्रिया-विशेषण हैं।
क्रियाविशेषण के भेद
क्रियाविशेषण के निम्नलिखित चार भेद हैं:
- रीतिवाचक क्रियाविशेषण
- कालवाचक क्रियाविशेषण
- स्थानवाचक क्रियाविशेषण,
- परिमाणवाचक क्रियाविशेषण
रीतिवाचक क्रियाविशेषण
जो शब्द क्रिया की रीति या विधि का बोध कराएँ उन्हें रीतिवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं। जैसे:
क. रीना जल्दी-जल्दी पढ़ती है।
ख. शेर जोर-जोर से दहाड़ रहा था।
ग. वह तेज भागता है।
इन वाक्यों में “जल्दी-जल्दी”, “जोर-जोर”, “तेज” और “धीरे-धीरे” शब्द क्रियाओं की रीति के बारे में बता रहे हैं, अतः ये रीतिवाचक क्रियाविशेषण हैं।
कालवाचक क्रियाविशेषण
जो शब्द क्रिया के होने के समय को सूचित करें, उन्हें कालवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं। जैसे:
क. वह कल आया था।
ख. तुम अब जा सकते हो।
ग. वह अभी आ रहा है।
इन वाक्यों में “कल”, “अब”, “अभी”, और “लगातार” शब्दों से कार्य के होने के समय का बोध होता है। इसलिए ये कालवाचक क्रियाविशेषण हैं।
स्थानवाचक क्रियाविशेषण
जो शब्द क्रिया के स्थान पर दिशा के बारे में बोध कराए, उसे स्थानवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं। जैसे:
क. तुम बाहर बैठो।
ख. वह ऊपर बैठा है।
ग. तुम वहाँ क्या खा रहे थे?
परिमाणवाचक क्रियाविशेषण
जो शब्द क्रिया के परिमाण (मात्रा) को प्रकट करें, उन्हें परिमाणवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं। जैसे:
क कम बोलो।
ख. अधिक पीओ।
इन वाक्यों में “कम”, “अधिक”, शब्द क्रिया के परिमाण के बारे में बता रहे हैं, ये शब्द परिमाणवाचक क्रियाविशेषण हैं।
संबंधबोधक अव्यय
जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के बाद प्रयुक्त होकर उनका वाक्य के दूसरे शब्दों (संज्ञा, सर्वनाम) से संबंध बताते हैं, उन्हें संबंधबोधक अव्यय कहा जाता है।
निम्नलिखित वाक्यों को ध्यान से पढ़िए-
क. धन के बिना कोई नहीं पूछता।
ख. राजा के पीछे चलना चाहिए।
ग. उसने शेर के बच्चे की ओर देखा।
उपर्युक्त वाक्यों में “के बिना”,” के पीछे”, “की ओर” शब्दों का संबंध वाक्यों के दूसरे शब्दों के साथ है, इसलिए ये शब्द संबंधबोधक अव्यय हैं।
संबंधबोधक अव्यय के भेद
अर्थ के अनुसार संबंधबोधक अव्यय के भेद निम्नलिखित हैं:
- कालवाचक
- स्थानसूचक
- दिशासूचक
- साधन सूचक
- समानतासूचक
- विरोधसूचक
- संबंधसूचक
- कारणसूचक
- विषयवाचक
समुच्चयबोधक अविकारी शब्द
जो अविकारी शब्द दो या दो से अधिक शब्दों, वाक्यांशों अथवा वाक्यों को जोड़ें वे समुच्चयबोधक कहलाते हैं। जैसे:
क. उसने खूब परिश्रम किया इसलिए वह प्रथम आया।
ख. रवि और सोहन छठी कक्षा में पढ़ते हैं।
ग. गौरव परिश्रमी तो है परंतु वह बुद्धिमान नहीं है।
“क” वाक्य में “इसलिए” शब्द “उसने खूब परिश्रम किया” और “वह प्रथम आया” इन दो वाक्यों को जोड़ रहा है। “ख” वाक्य में “और” शब्द “रवि” और “सोहन” इन दो शब्दों को जोड़ रहा है। “ग” वाक्य में “परंतु” शब्द “गौरव धनी तो है” और “वह बुद्धिमान नहीं है” इन दो वाक्यों को जोड़ रहा है।
समानाधिकरण समुच्चयबोधक
1. सुषमा और सुधा स्वेटर बुन रही हैं।
2. दुर्योधन वीर था परंतु अहंकारी तथा क्रोधी भी था।
इन वाक्यों में “और”, “तथा” शब्द समुच्चयबोधक हैं। ये दोनों वाक्य के सामने पदों तथा उपवाक्यों को जोड़ रहे हैं। “सुषमा” और “सुधा” समान पद हैं। तथा दूसरे वाक्य में “दुर्योधन वीर था”, “अहंकारी तथा क्रोधी भी था” दो समान उपवाक्य हैं। भाव यह है कि इनमें से कोई किसी पर आश्रित नहीं है। ये सभी समानाधिकरण समुच्चयबोधक के उदाहरण हैं।
जो समुच्चयबोधक समान स्थिति वाले अर्थात् स्वतंत्र शब्दों (पदों), वाक्यांशों या उपवाक्यों को समानता के आधार पर एक-दूसरे से जोड़ते हैं, उन्हें समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहा जाता है। समानाधिकरण समुच्चयबोधक के भेद के आधार पर समानाधिकरण समुच्चयबोधक के चार भेद हैं।
- संयोजक
- विभाजक
- विरोधवाचक
- परिणामवाचक
विस्मयादिबोधक
जिन शब्दों से हर्ष, शोक, घृणा, आश्चर्य आदि भाव प्रकट होते हैं, उन्हें विस्मयादिबोधक कहा जाता है। जैसे:
क. वाह! तुमने तो कमाल कर दिया।
ख. अरे ! तुम कहाँ चले गए थे?
उपर्युक्त वाक्यों में वाह, अरे, क्रमशः आश्चर्य, हर्ष, के भावों को प्रकट कर रहे हैं। ये सभी विस्मयादिबोधक अव्यय हैं।
विस्मयादिबोधक के भेद
भिन्न-भिन्न मनोभावों को व्यक्त करने के लिए विस्मयादिबोधक के भेद निम्नलिखित हैं:
- हर्षसूचक- अहा! वाह! वाह-वाह! शाबाश! धन्य! उदाहरण- अहा ! कैसा मधुर संगीत है।
- शोकसूचक- हाय! ओह! हाय-हाय ! उफ! त्राहि-त्राहि! उदाहरण- ओह! कितना कमजोर है।
- विस्मयसूचक- अरे! हैं ! ऐं! ओ हो! अरे वाह! उदाहरण- अरे! यह वही लड़का है।
- घृणासूचक- छि:! छि:! हट! धत् ! धिक्! उदाहरण- छिः! कितनी गंदी बात।
- स्वीकारसूचक- उदाहरण- हाँ! जी! जी हाँ! अच्छा ! ठीक है! ठीक है! मैं कल दिल्ली चला जाऊँगा।
- भयसूचक- उदाहरण- ओह! आह! बाप-रे-बाप! हाय ! बाप रे! कितना भयानक शेर।
- अनुमोदन सूचक- हाँ! ठीक! अच्छा ! ठीक है! उदाहरण – हाँ-हाँ! मैं कल अवश्य आऊँगा।
- चेतावनीसूचक- उदाहरण- खबरदार! होशियार ! सावधान! खबरदार! जो बिजली की तार को हाथ लगाया।