Class 6 Hindi Grammar Chapter 14 उपसर्ग (Upsarg). All the terms related to उपसर्ग and उपसर्ग के प्रकार तथा उसकी पहचान are given here with complete examples and explanation updated for academic session 2024-25. Practice here about उपसर्ग and its kinds to be confidents in class 6 Hindi Vyakaran – Upsarg.
कक्षा 6 के लिए हिन्दी व्याकरण – उपसर्ग
कक्षा: 6 | हिन्दी व्याकरण |
अध्याय: 14 | उपसर्ग |
Class 6 Hindi Vyakaran Chapter 14 उपसर्ग
शब्द निर्माण: उपसर्ग
उपसर्ग का अर्थ है – किसी शब्द के समीप आकार नया शब्द बनाना। जो शब्दों के आदि में जुड़कर उनके अर्थ में कुछ विशेषता लाते हैं, वे उपसर्ग कहलाते हैं। शब्द के विषय में हम पहले पढ़ चुके हैं कि व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के तीन भेद हैं: रूढ़, यौगिक और योगरूढ़। मूलतः शब्द के दो ही भेद होते हैं- रूढ़ और यौगिक। योगरूढ़ अर्थ की दृष्टि से रूढ़ होता है। रचना की दृष्टि से यौगिक और योगरूढ़ समान होते हैं। रूढ़ के हम खंड नहीं कर सकते हैं, अतः रचना में यौगिक ही रह जाते हैं जिनसे हम शब्द-रचना कर सकते हैं।
उपसर्ग किसे कहते हैं?
“हार” शब्द का अर्थ है पराजय। परंतु इसी शब्द के आगे “प्र” शब्दांश को जोड़ने से नया शब्द बनेगा-“प्रहार” (प्र+हार) जिसका अर्थ है चोट करना। इसी तरह “आ” जोड़ने से आहार (भोजन), “सम्” जोड़ने से संहार (विनाश) तथा “वि” जोड़ने से “विहार” (घूमना) आदि शब्द बन जाएँगे । उपर्युक्त उदाहरण में “प्र”, “आ”, “सम्” और “वि” का अलग से कोई अर्थ नहीं है, परंतु “हार” शब्द के आदि में जुड़ने से उसके अर्थ में इन्होंने परिवर्तन कर दिया है। इसका अर्थ हुआ कि ये सभी शब्दांश हैं और ऐसे शब्दांशों को उपसर्ग कहते हैं।
यौगिक शब्दों की रचना तीन प्रकार से होती है:
- उपसर्ग से
- प्रत्यय से
- समास से
उपसर्ग की पहचान
- उपसर्ग मूल शब्द के आरंभ में ही प्रयुक्त होते हैं।
जैसे- पराजय- परा + जय, पराधीन – परा + धीन, अनुचर – अनु + चर
यहाँ परा तथा अनु उपसर्ग हैं। - उपसर्गों का स्वतंत्र प्रयोग नहीं होता।
- उपसर्ग शब्द के आरंभ में जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन ला देते हैं, अथवा विशेषता उत्पन्न कर देते हैं।
जैसे- दुर् + बल = दुर्बल (शक्तिहीन), दुर् + गम = दुर्गम (कठिन)
उपसर्ग के प्रकार
उपसर्ग मुख्यत: तीन प्रकार के होते हैं:
(क) तत्सम उपसर्ग
(ख) तद्भव उपसर्ग
(ग) विदेशी/आगत उपसर्ग
- तत्सम उपसर्ग
जो उपसर्ग संस्कृत भाषा के शब्दों के साथ ही हिंदी भाषा में भी आ गए हैं, तत्सम उपसर्ग कहलाते हैं।
जैसे- अधि + कार = अधिकार, आ + गम = आगम - तद्भव उपसर्ग
ये मूलतः संस्कृत से विकसित हैं। इनका प्रयोग हिंदी के मूल शब्दों के साथ होता है।
जैसे – अ + टल = अटल, क + पूत = कपूत - विदेशी/आगत उपसर्ग
अरबी-फारसी एवं अंग्रेजी आदि विदेशी भाषाओं से लिए गए शब्दांशों को आगत उपसर्ग कहते हैं।
जैसे- बद + दिमाग = बददिमाग, खुश + मिजाज = खुशमिजाज
ध्यान रखने योग्य बातें
- उपसर्ग मूल शब्द के आरंभ में जुड़ने वाले शब्दांश हैं। उपसर्गों का स्वतंत्र प्रयोग नहीं होता।
- उपसर्ग मूल शब्द के आगे जुड़कर उसके अर्थ में विशेषता या परिवर्तन ला देते हैं।
- एक उपसर्ग के एक से अधिक अर्थ हो सकते हैं।
- उपसर्ग की सहायता से विलोम शब्दों का निर्माण होता है। जैसे- सत्य-असत्य, हिंसा-अहिंसा।
- उपसर्ग मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं- 1. तत्सम, 2. तद्भव 3. आगत।