Class 6 Hindi Grammar Chapter 1 भाषा, हिंदी भाषा, लिपि तथा व्याकरण are given here with examples and definitions. भाषा मानव के मुख से निकली वे सार्थक ध्वनियाँ हैं जो दूसरों तक अपनी बात पहुँचाने का काम करती हैं। अर्थात् स्पष्ट रूप से भाव बताती हैं, इसलिए यह भाषा कहलाती है। You can get here the explanation of Hindi Vyakaran each term with multiple examples are given to explain the topics. All the contents on Tiwari Academy is free to use without any login or password. We really want to help the students.
कक्षा 6 के लिए व्याकरण पाठ 1 भाषा, लिपि तथा व्याकरण
कक्षा: 6 | हिन्दी व्याकरण |
अध्याय: 1 | भाषा, लिपि तथा व्याकरण |
Class 6 Hindi Grammar Chapter 1 भाषा, लिपि तथा व्याकरण
भाषा, लिपि तथा व्याकरण
मनुष्य अपने मन के भावों को, विचारों को, भाषा के माध्यम से अभिव्यक्त करता है। वह मन की बात बोलकर बताता है। वह मन की बातों को लिखकर प्रकट करता है। लेकिन आदिकाल में मनुष्य की कोई भाषा व बोली नहीं थी। उसने अपने मन के भावों को समझाने व समझने के लिए संकेतों का सहारा लेता था, लेकिन ये संकेत मन के भावों को पूरी तरह स्पष्ट नहीं कर पाते थे। धीरे-धीरे उसने इस समस्या से निबटने के लिए मुख से निकली ध्वनियों तथा प्राकृतिक तौर पर आने वाली आवाजों को शब्दों व वाक्यों का रूप देकर भाषा बनाई। “भाषा” शब्द संस्कृत की धातु “भाष” से बना है, जिसका अर्थ है स्पष्ट वाणी अथवा बोलना।
भाषा रूपांतरण
अमन पढ़ रहा है। और रमन पतंग उड़ा रहा है। आप अपनी बात को बोलकर या लिखकर बताएँगे। इसी प्रकार मन के भावों को प्रकट करने के लिए आपको बोलकर, लिखने तथा पढ़ने का सहारा लेना पड़ता है। अतः अपने मन के भावों तथा विचारों को प्रकट करने के लिए जिस साधन विशेष का प्रयोग किया जाता है उसे ही ‘भाषा’ कहते हैं। कुछ विद्वान भाषा को केवल विचारों को प्रकट करने तथा ग्रहण करने का साधन ही नहीं मानते, बल्कि इसे एक “मानसिक प्रक्रिया” भी मानते हैं। उनके अनुसार मानसिक प्रक्रिया को पूरा करने के लिए जिस साधन का प्रयोग किया जाता है, उसे “भाषा” कहते हैं। भाषा की परिभाषा इस प्रकार दी जा सकती है,
भाषा की विविधता
भाषाएँ अनेक हैं संसार के विभिन्न देशों में अलग-अलग भाषाएँ बोली जाती हैं, जैसे- रूस में रूसी, चीन में चीनी, जापान में जापानी, इंग्लैंड में अंग्रेज़ी आदि। भारत जैसे बड़े देश में अनेक भाषाएँ बोली तथा पढ़ाई जाती हैं; जैसे- हिंदी, संस्कृत, उर्दू, उड़िया, कश्मीरी, गुजराती, तमिल, तेलगु, असमिया, मलयालम, बंगला, पंजाबी, कन्नड़, मराठी, सिंधी आदि। भारतीय संविधान में 14 सितम्बर 1949 को हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया। इसे भारतीय संघ के काम-काज की भाषा बनाया गया। 14 सितंबर का दिन प्रतिवर्ष हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
मनुष्य को भाषा की आवश्यकता क्यों होती है?
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसे समाज में रहते हुए जीवन की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करना होता है, इसलिए उसे कभी अपने मन के विचारों को प्रकट करना पड़ता है तो कभी दूसरों के विचारों को समझना पड़ता है। भाषा न केवल विचारों तथा भावों को प्रकट करने का महत्वपूर्ण साधन है, बल्कि ज्ञान के भंडार को सुरक्षित रखने का भी साधन है। भाषा द्वारा विचारों में सरलता, स्पष्टता तथा एकरूपता है।
भाषा से आप क्या समझते हैं?
भाषा वह साधन है जिसके द्वारा मनुष्य अपने मन के भावों और विचारों को बोलकर और लिखकर प्रकट करता है। वह भाषा के द्वारा दूसरों के भावों और विचारों को सुनकर और पढ़कर जानता है। भाषा विचारों और भावों के आदान-प्रदान का साधन है।
भाषा मुख्यतः कितने प्रकार की होती है?
भाषा के प्रकार
हम भाषा का प्रयोग निम्नलिखित दो प्रकार से करते हैं:
1. मौखिक भाषा
2. लिखित भाषा
लिखित भाषा
जब मनुष्य अपने मन के भावों या विचारों को लिखकर प्रकट करता है, तो उसे लिखित भाषा कहते हैं; जैसे- सतीश पत्र लिख रहा है। आयुष किताब पढ़ रहा है। भाषा के इन दोनों माध्यमों के अतिरिक्त संकेतों द्वारा भी भाव प्रकट करने का प्रयत्न किया जाता है; जैसे भूख लगने पर बच्चा रोता है। गूंगे संकेतों द्वारा ही अपने मन के भावों को प्रकट करने का कार्य करते हैं। ऐसे रूप को भाषा का ‘सांकेतिक रूप’ कहते हैं। विद्वानों ने सांकेतिक रूप को सही मायने में भाषा नहीं माना है। सांकेतिक भाषा का प्रयोग सभी प्रकार के विचारों को प्रकट करने के लिए नहीं किया जा सकता, अतः इससे सर्व-साधारण का काम नहीं चल सकता। यही कारण है कि भाषा के दो रूप माने जाते हैं।
मौखिक भाषा
जब दो या दो से अधिक व्यक्ति बोलकर अपने मन के भावों या विचारों को एक दूसरे पर प्रकट करते हैं, उसे मौखिक भाषा कहते हैं, जैसे- अध्यापिका बोलकर छात्रों को पढ़ा रही है। अब आप भली-भाँति समझ गए होंगे कि बोलकर अपनी बात कितनी आसानी से समझाई जा सकती है। दूसरों को अपनी बात समझाने के लिए स्पष्ट रूप से बोलना ज़रूरी है। स्पष्ट रूप से बोलकर अपने मन की बात दूसरों को ठीक तरह से समझाई जा सकती है।