Hindi Grammar Vyakaran (हिंदी व्याकरण) and its various terms with suitable examples. Bhasha, Lipi, Sangya, Sarvanam, Visheshan, Ling aur uske prakar, vachan badlo, ling badlo and other things related to Hindi Vyakaran. Here we are describing all the terms related to Hindi Grammar and explanation related to all linking terms of grammar.
भाषा लिपि और हिंदी व्याकरण
भाषा से आप क्या समझते है?
भाषा वह साधन है, जिसके द्वारा मनुष्य मन के भावों और विचारों को व्यक्त करता हैl और दूसरों के भावों और विचारों को जानता हैl
भाषा के रूप: भाषा के मुख्यतः दो रूप हैं:
1. मौखिक भाषा
2. लिखित भाषा
भाषा के प्रकार:
- मातृ भाषा
- राष्ट्रभाषा
- राजभाषा
- संपर्क भाषा
- मानक भाषा
लिपि किसे कहते हैं?
भाषा को लिखित रूप देने के लिए जिन चिहनो को निश्चित किया गया, उसे लिपि कहते हैंl
व्याकरण से आप क्या समझते हैं?
भाषा के शुद्ध रूप के नियम बताने वाला शास्त्र व्याकरण कहलाता है, व्याकरण के मुख्य भाग:
- 1. वर्ण विचार
- 2. शब्द विचार
- 3. वाक्य विचार
साहित्य क्या है?
साहित्य समाज का दर्पण है। समय-समय पर हमारे कवियों एवं लेखको ने अपने विचारों को लेखनीबद किया और उन्हें लोगों से साझा किया। इसी संचित ज्ञान को साहित्य कहते हैं जो समय-समय पर लोगों का मार्गदर्शन करने के साथ हमारा मनोरंजन भी करते रहे हैं।
साहित्य दो प्रकार का होता है:
- 1. गद्य साहित्य
- 2. पद्य साहित्य
वर्ण किसे कहते हैं?
वर्ण भाषा की लघुतम इकाई है, जिसे खण्डित नहीं किया जा सकता, वर्ण का दूसरा नाम अक्षर भी है। वर्ण दो प्रकार के होते हैं:
- स्वर
- व्यंजन
स्वर
जिन वर्णों का उच्चारण स्वतंत्र रूप से होता है अर्थात इनके उच्चारण में अन्य ध्वनियो की सहायता की आवश्यकता नहीं होती, वे स्वर कहलाते है।
स्वर तीन प्रकार के होते हैं:
- 1. ह्रस्व स्वर
- 2. दीर्घ स्वर
- 3. प्लुत स्वर
व्यंजन
जिन वर्णों के उच्चारण में स्वरों की सहायता ली जाती है, वे कहलाते हैं; व्यंजन को मुख्यतः तीन भागों में बांटा गया है:
1. स्पर्श
2. अन्तस्थ
3. ऊष्म
शब्द: भाषा का आधार शब्द है, शब्द वर्णों के मेल से बनता है।
पद
शब्द जब वाक्य में प्रयुक्त होते हैं, तब इन्हें “पद” कहते हैं। पद स्वतंत्र नहीं होता। यह व्याकरण के नियम से बंधा होता है।
शब्दों का वर्गीकरण: शब्दों का वर्गीकरण निम्नलिखित आधार पर किया गया है:
- उत्पति के आधार पर
- रचना के आधार पर
- अर्थ के आधार पर
- प्रयोग के आधार पर
उत्पति के आधार पर
शब्द की उत्पति के आधार पर शब्दों के चार भेद होते हैं:
1. तत्सम शब्द
2. तद्भव शब्द
3. देशज शब्द
4. आगत शब्द
तत्सम शब्द | तद्भव शब्द |
---|---|
क्षीर | खीर |
मित्र | मीत |
नृत्य | नाच |
संध्या | साँझ |
कूप | कुवां |
कृषक | किसान |
देशज | आगत |
---|---|
लोटा, थैला, रोटी, जूता, चप्पल, चिड़िया | अफ़सोस, शोर, आमदनी, पजामा, दुकान, शिकायत |
नोट: आगत शब्दों में विभिन्न भाषाओं के विदेशी शब्द शामिल हैं। जैसे: फारसी, अंग्रेजी, तुर्की, चीनी, पुर्तगाली आदि।
रचना के आधार पर:
1. रूढ़ 2. यौगिक 3. योगारूढ़
किताब विद्यालय लम्बोदर
दीवार राष्ट्रपिता त्रिनेत्र
लता घुड़सवार पीताम्बर
कठिन रसोईघर दशानन
प्रयोग के आधार पर:
1. विकारी शब्द
2. अविकारी शब्द
अर्थ के आधार पर:
- विलोम शब्द
- एकार्थी शब्द
- पर्यायवाची शब्द
- अनेकार्थी शब्द
- भिन्नार्थक शब्द
- अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
संज्ञा: किसी प्राणी, स्थान, वास्तु, भाव या गुण के नाम को संज्ञा कहते हैं। संज्ञा के तीन भेद होते हैं:
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा
2. जातिवाचक संज्ञा
3. भाववाचक संज्ञा
नोट: भाव्व्चक संज्ञाओं को हम स्पर्श नहीं कर सकते हैं।
जातिवाचक | भाववाचक |
---|---|
मित्र | मित्रता |
बच्चा | बचपन |
वीर | वीरता |
व्यक्ति | व्यक्तित्व |
राष्ट्र | राष्ट्रीयता |
मजदूर | मजदूरी |
लिंग: वे शब्द जिनसे किसी संज्ञा या सर्वनाम के पुरुष या स्त्री जाति का बोध होता है उसे लिंग कहते हैं। लिंग दो प्रकार के होते हैं:
पुल्लिंग | स्त्रीलिंग |
---|---|
छात्र | छात्रा |
लेखक | लेखिका |
बालक | बालिका |
गायक | गायिका |
अध्यक्ष | अध्यक्षा |
महोदय | महोदया |
वचन: जिन शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम के एक या अनेक होने का बोध हों, उसे वचन कहते हैं। वचन दो प्रकार के होते हैं:
एकवचन | बहुवचन |
---|---|
लड़का | लड़के |
कमरा | कमरे |
जूता | जूते |
दरवाजा | दरवाजे |
पंखा | पंखे |
बेटा | बेटे |
कारक
जो शब्द संज्ञा और सर्वनाम का क्रिया तथा वाक्य के दूसरे शब्दों से सम्बन्ध के बारे में बताते हैं, उन्हें कारक कहते हैं।
हिंदी में करक आठ प्रकार के होते हैं:
- 1. कर्ता
- 2. कर्म
- 3. करण
- 4. सम्प्रदान
- 5. अपादान
- 6. सम्बन्ध
- 7. अधिकरण
- 8. सम्बोधन
विभक्ति: कारको को प्रकट करने के लिए संज्ञा या सर्वनाम के साथ जो चिह्न लगाये जाते हैं, उन्हें विभक्ति या परसर्ग कहते हैं।
कारक के विभक्ति चिह्न या परसर्ग निम्नलिखित हैं:
कारक | विभक्ति चिह्न (परसर्ग) |
---|---|
कर्ता | ने |
कर्म | को |
करण | से, के द्वारा |
सम्प्रदान | के लिए, को |
अपादान | से |
सम्बन्ध | का, के, की, रा, रे, नी |
अधिकरण | में, पर |
सम्बोधन | हे!, अरे! |
सर्वनाम
संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते हैं।
सर्वनाम के छः भेद होते हैं:
- 1. पुरुषवाचक
- 2. निश्चयवाचक
- 3. अनिश्चयवाचक
- 4. प्रश्नवाचक
- 5. सम्बन्धवाचक
- 6. निजवाचक
विशेषण
वे शब्द जो संज्ञा तथा सर्वनाम की विशेषता बताते हैं, विशेषण कहलाते हैं।
विशेषण चार प्रकार के होते हैं:
- गुणवाचक
- संख्यावाचक
- परिणामवाचक
- सार्वनामिक
संज्ञा | प्रत्यय | विशेषण |
---|---|---|
परिवार | इक | पारिवारिक |
नीति | इक | नैतिक |
अधिकार | ई | अधिकारी |
भारत | ईय | भारतीय |
गुण | वान | गुणवान |
क्रिया, काल और वाच्य
क्रिया: जिन शब्दों से किसी कार्य के होने या करने का बोध हों, उन्हें क्रिया कहते हैं। क्रिया के दो भेद हैं:
1. कर्म के आधार पर
2. रचना के आधार पर
काल: काम के होने के समय का बोध कराने वाले शब्द काल कहलाते हैं। काल के तीन भेद हैं:
1. भूतकाल
2. वर्तमान काल
3. भविष्यत काल
वाच्य: क्रिया के जिस रूप से पता चलता है कि क्रिया का विधान कर्ता, कर्म या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं। वाच्य के तीन भेद हैं:
1. कर्तुवाच्य
2. कर्मवाच्य
3. भाववाच्य
अविकारी (अव्यय) शब्द: जिन शब्दों पर लिंग, वचन, कारक आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता, उन्हें अविकारी या अव्यय शब्द कहते हैं। जैसे: यहाँ, इधर, ऊपर, नीचे आदि।
अव्यय के पांच भेद होते हैं:
1. क्रिया विशेषण
2. सम्बन्धबोधक
3. सम्मुचयबोधक
4. विस्मयादिबोधक
5. निपात
वाक्य विचार: शब्दों का सार्थक तथा व्यवस्थित मेल वाक्य कहलाता है। वाक्य के मुख्यतः दो भेद होते हैं:
1. उद्देश्य
2. विधेय
विराम चिह्न
शब्दों, वाक्यांशों अथवा वाक्य के अंत में ठहरने के लिए जिन चिह्नों को अंकित करना पड़ता है, उन्हें विराम चिह्न कहते हैं।
- 1. पूर्ण विराम (।)
- 2. अर्द्धविराम (;)
- 3. अल्पविराम (,)
- 4. प्रश्नसूचक (?)
- 5. विस्मयादिबोधक (!)
- 6. उद्धरण चिह्न (‘ ‘) (“ “)
- 7. योजक चिह्न (-)
- 8. निर्देशक चिह्न ( – )
- 9. कोष्टक ( ) { } [ ]
- 10. हंसपद या त्रुटिपूरक (^)
- 11. लाघव चिह्न (०)
पर्यायवाची शब्द: सामान अर्थ वाले शब्दों को पर्यायवाची शब्द कहते हैं।
शब्द | पर्यायवाची शब्द |
---|---|
नदी | सरिता, तटिनी, सलिला |
बादल | घन, मेघ, नीरद |
सूर्य | दिनकर, भाष्कर, सविता |
सोना | कंचन, कनक, स्वर्ण |
आकाश | अम्बर, गगन, नभ |
पुत्री | लड़की, तनय, सुता |
विलोम शब्द: वे शब्द जो एक दूसरे का उलटा अर्थ देते हैं, विलोम शब्द कहलाते हैं।
शब्द | विलोम शब्द |
---|---|
आस्तिक | नास्तिक |
अल्प | अधिक |
विशेष | सामान्य |
आशा | निराशा |
साकार | निराकर |
सरस | नीरस |
उपसर्ग: वे शब्दांश जो शब्दों के आरम्भ में जुड़कर उनके अर्थ में परिवर्तन या विशेषता लाते हैं, उन्हें उपसर्ग कहते हैं। उपसर्गों को चार भागों में बांटा गया है:
1. संस्कृत के उपसर्ग
2. हिंदी के उपसर्ग
3. उर्दू के उपसर्ग
4. उपसर्ग की तरह प्रयुक्त होने वाले संस्कृत के अव्यय
प्रत्यय: जो शब्द किसी शब्द के अंत में जुड़कर उनके अर्थ में परिवर्तन लाते हैं, उन्हें प्रत्यय कहते हैं। प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं:
1. कृत प्रत्यय
2. तद्धित प्रत्यय
समास: दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से नए शब्द बनाने की क्रिया को समास कहते है। समास के भेद:
1. तत्पुरुष समास
2. कर्मधारय समास
3. अव्ययीभाव समास
4. द्विगु समास
5. द्वन्द समास
6. बहुव्रीहि समास
संधि: दो ध्वनियों के मेल से होने वाले विकार को संधि कहते हैं। संधियाँ तीन प्रकार की होती है:
1. स्वर संधि
2. व्यंजन संधि
3. विसर्ग संधि
अलंकार
काव्य की शोभा बढ़ाने वाले धर्मों को अलंकार कहते हैं, जिस प्रकार आभूषण पहनने से स्त्री का सौन्दर्य बढ़ जाता है उसी प्रकार कविताओं में अलंकार के प्रयोग से कविता का सौन्दर्य बढ़ जाता है।
अलंकार मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं:
1. शब्दालंकार
2. अर्थालंकार
शब्दालंकार
जिन अलंकारो में शब्दों के प्रयोग से काव्य सौन्दर्य में वृदि होती है, उन्हें शब्दालंकार कहते हैं। शब्दालंकार तीन प्रकार के होते हैं:
1. अनुप्रास अलंकार
2. यमक अलंकार
3. श्लेष अलंकार
अर्थालंकार
कविता या काव्य में जहाँ शब्द के अर्थ के करण सुन्दरता एवं चमत्कार बढाया जाता है वहां अर्थालंकार होता है। अर्थालंकार चार प्रकार के होते हैं:
1. उपमा अलंकार
2. रूपक अलंकार
3. उत्प्रेक्षा अलंकार
4. अतिश्योक्ति अलंकार